भजन संहिता 55:16-23

भजन संहिता 55:16-23 HINCLBSI

मैं परमेश्‍वर को पुकारता हूँ; प्रभु ही मुझे बचाएगा। मैं संध्‍या, प्रात: और दोपहर में दु:ख के उद्गार प्रकट करता, और रोता हूँ; वह मेरी आवाज सुनेगा। युद्ध में प्रभु मेरी रक्षा करेगा; जब मेरे विरुद्ध अनेक शत्रु खड़े होंगे, वह मेरे प्राणों का उद्धार करेगा। परमेश्‍वर सनातन काल से सिंहासन पर विराजमान है, मेरी प्रार्थना सुनकर वह उन्‍हें उत्तर देगा। सेलाह क्‍योंकि उन लोगों का न हृदय-परिवर्तन होता है और न वे परमेश्‍वर से डरते हैं। मेरे साथी ने अपने ही मित्रों के विरुद्ध हाथ उठाया; उसने अपने समझौते पर आघात किया। उसके मुंह की बातें मक्‍खन से अधिक चिकनी थीं, पर उसके हृदय में द्वेष था। उसके शब्‍द तेल की अपेक्षा कोमल थे; फिर भी वे नंगी तलवार थे। अपना भार प्रभु पर डाल दो; वह तुम्‍हें सहारा देगा; वह धार्मिक मनुष्‍य को कभी विचलित न होने देगा! परमेश्‍वर, तू उन्‍हें विनाश के गर्त्त में डालेगा; रक्‍त-पिपासु और कपटी मनुष्‍य आधी आयु भी व्‍यतीत न कर पाएंगे। पर मैं तुझ पर ही भरोसा करूंगा।