भजन संहिता 4:2
भजन संहिता 4:2 HINCLBSI
ओ मानव! कब तक तुम मेरे गौरव को अपमानित करते रहोगे? तुम कब तक निरर्थक बातों की अभिलाषा, और असत्य की खोज करते रहोगे? सेलाह
ओ मानव! कब तक तुम मेरे गौरव को अपमानित करते रहोगे? तुम कब तक निरर्थक बातों की अभिलाषा, और असत्य की खोज करते रहोगे? सेलाह