भजन संहिता 119:9-16, 97-105

भजन संहिता 119:9-16 HINCLBSI

जवान व्यक्‍ति अपना आचरण किस प्रकार शुद्ध रख सकता है? प्रभु, तेरे वचन का पालन करके। मैं अपने सम्‍पूर्ण हृदय से तुझको खोजता हूं; मुझे अपनी आज्ञाओं से विमुख न होने देना! मैंने तेरे वचन अपने हृदय में धारण किए हैं, कि मैं तेरे विरुद्ध पाप न करूं। हे प्रभु, तू धन्‍य है; तू मुझे अपनी संविधियाँ सिखा। तेरे समस्‍त न्‍याय-सिद्धान्‍तों का मैं अपने मुंह से वर्णन करूंगा। मैं तेरी सािक्षयों के मार्ग से हर्षित होता हूं, जैसे मैं सब प्रकार के धन-धान्‍य से प्रसन्न होता हूं। मैं तेरे आदेशों का पाठ करूंगा, मैं तेरे मार्गों की ओर दृष्‍टि करूंगा। मैं तेरी संविधियों से प्रसन्न रहूंगा; मैं तेरे वचन को नहीं भूलूंगा।

भजन संहिता 119:97-105 HINCLBSI

मैं तेरी व्‍यवस्‍था से कितना प्रेम करता हूं! दिन-भर मैं उसका पाठ करता हूं। तेरी आज्ञा मेरे शत्रुओं से अधिक मुझे बुद्धिमान बनाती है, क्‍योंकि वह सदा मेरे साथ है। मेरे सब शिक्षकों की अपेक्षा मुझ में अधिक समझ है; क्‍योंकि तेरी सािक्षयां मेरा दैनिक पाठ हैं। मैं वृद्धों से अधिक विचार करता हूं, क्‍योंकि मैं तेरे आदेश मानता हूं। मैं अपने पैरों को हरेक कुपथ से रोकता हूं, जिससे तेरे वचन का पालन करूं। मैं तेरे न्‍याय-सिद्धान्‍तों से नहीं हटता हूं, क्‍योंकि तूने मुझे सिखाया है। तेरे वचन मेरी जीभ को कितने स्‍वादिष्‍ट लगते हैं! वे मेरे मुंह में मधु से अधिक मीठे हैं। तेरे आदेशों द्वारा मैं विचार करता हूं; अत: मैं प्रत्‍येक असत्‍य पथ से घृणा करता हूं। तेरा वचन मेरे पैर के लिए दीपक, और मेरे पथ की ज्‍योति है।

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