भजन संहिता 104:10-24

भजन संहिता 104:10-24 HINCLBSI

तू झरनों को घाटियों में बहाता है; वे पहाड़ों के मध्‍य बहते हैं। वे मैदान के समस्‍त पशुओं को पानी देते हैं; जंगली गदहे अपनी प्‍यास बुझाते हैं। उनके निकट आकाश के पक्षी निवास करते हैं। वे शाखाओं के बीच कलरव करते हैं। तू अपने उपरले कक्ष से पहाड़ों पर वर्षा करता है; तेरे कार्यों के फल से धरती तृप्‍त है। तू पशु के लिए घास, और मनुष्‍य के लिए वनस्‍पति उपजाता है, जिससे मनुष्‍य धरती से भोजन-वस्‍तु उत्‍पन्न करे, तथा दाखरस, जो उसके हृदय को आनन्‍दित करता है, एवं मुख को चमकाने के लिए तेल, और रोटी, जो उसके हृदय को बल प्रदान करती है। प्रभु के वृक्ष, जिनको उसने लगाया था, लबानोन प्रदेश के देवदार, जल से तृप्‍त रहे हैं। उनमें पक्षी अपने घोंसले बनाते हैं; सनोवर के वृक्षों पर लगलग का बसेरा है। जंगली बकरों के लिए ऊंचे पर्वत हैं; चट्टानी बिज्‍जुओं के लिए आश्रय-स्‍थल हैं। तूने ऋतु-ज्ञान के लिए चन्‍द्रमा को बनाया है; सूर्य अपने अस्‍त होने का समय जानता है। तू अन्‍धकार करता है, और रात हो जाती है, जिसमें समस्‍त वन-पशु विचरने लगते हैं। सिंह के बच्‍चे शिकार के लिए गुर्राते हैं, और परमेश्‍वर से अपना आहार मांगते हैं। सूर्य के उदय होते ही वे चले जाते हैं, और अपनी मांदों में विश्राम करते हैं। मनुष्‍य अपने काम के लिए, सन्‍ध्‍या तक परिश्रम करने के लिए निकलता है। हे प्रभु, तेरे कार्य कितने अधिक हैं। तूने उन सब कार्यों को बुद्धि से किया है; तेरे द्वारा रचे गए जीवों से पृथ्‍वी परिपूर्ण है।

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