फिलिप्पियों 4:10-20

फिलिप्पियों 4:10-20 HINCLBSI

मुझे प्रभु में बड़ा आनन्‍द इसलिए हुआ कि मेरे प्रति आप लोगों की शुभचिंता इतने दिनों के बाद फिर पल्‍लवित हुई। इस से पहले भी आप को मेरी चिन्‍ता अवश्‍य थी, किन्‍तु उसे प्रकट करने का सुअवसर नहीं मिल रहा था। मैं यह इसलिए नहीं कह रहा हूँ कि मुझे किसी बात की कमी है, क्‍योंकि मैंने हर परिस्‍थिति में स्‍वावलम्‍बी होना सीख लिया है। मैं दरिद्रता तथा सम्‍पन्नता, दोनों से परिचित हूँ। चाहे परितृप्‍ति हो या भूख, समृद्धि हो या अभाव-मुझे जीवन के उतार-चढ़ाव का पूरा अनुभव है। जो मुझे बल प्रदान करता है, उसकी सहायता से मैं सब कुछ कर सकता हूँ। फिर भी आप लोगों ने संकट में मेरा साथ दे कर अच्‍छा किया। फिलिप्‍पी निवासियो! आप लोग जानते हैं कि अपने शुभसमाचार-प्रचार के प्रारम्‍भ में जब मैं मकिदुनिया प्रदेश से चला गया, तो आप लोगों को छोड़ कर किसी भी कलीसिया ने मेरे साथ लेन-देन का सम्‍बन्‍ध नहीं रखा। जब मैं थिस्‍सलुनीके नगर में था, तो आप लोगों ने मेरी आवश्‍यकता पूरी करने के लिए एक बार नहीं, बल्‍कि दो बार बहुत कुछ भेजा था। मैं दान पाने के लिए उत्‍सुक नहीं हूं। मैं इसलिए उत्‍सुक हूँ कि हिसाब में आपकी जमा-बाकी बढ़ती जाये। अब मुझे पूर्ण राशि प्राप्‍त हो गई है; मैं सम्‍पन्न हूँ। इपफ्रोदितुस से आपकी भेजी हुई वस्‍तुएँ पा कर मैं समृद्ध हो गया हूँ। आप लोगों की यह भेंट एक मधुर सुगन्‍ध है, एक सुग्राह्य बलि है, जो परमेश्‍वर को प्रिय है। मेरा परमेश्‍वर येशु मसीह द्वारा अपनी अतुल महिमा के कोष से आपकी सब आवश्‍यकताओं को पूरा करेगा। हमारे पिता परमेश्‍वर की महिमा युगानुयुग हो! आमेन।

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