जन-गणना 20:1-12

जन-गणना 20:1-12 HINCLBSI

पहले महीने में इस्राएली समाज, समस्‍त इस्राएली मंडली, सीन के निर्जन प्रदेश में पहुँची। वे लोग कादेश मरूद्यान में ठहर गए। वहाँ मिर्याम की मृत्‍यु हो गई; और उसे वहीं गाड़ा गया। वहाँ इस्राएली मंडली के लिए जल उपलब्‍ध नहीं था। अत: वे मूसा और हारून के विरुद्ध इकट्ठे हो गए। वे मूसा से विवाद करने लगे। उन्‍होंने कहा, ‘भला होता कि हम उस समय मर गए होते जब प्रभु के सम्‍मुख हमारे भाई-बहिनों के प्राण निकले थे। आप क्‍यों प्रभु के धर्मसमुदाय को इस निर्जन प्रदेश में ले आए? क्‍या इसलिए कि हम और हमारे पशु यहाँ मर जाएँ? आपने क्‍यों हमें मिस्र देश से बाहर निकाला? क्‍या इस बुरे स्‍थान में लाने के लिए? यह स्‍थान अन्न, अंजीर, अंगूर और अनार का स्‍थान नहीं है। यहाँ पीने के लिए पानी भी उपलब्‍ध नहीं है।’ अत: मूसा और हारून धर्मसभा के सम्‍मुख से निकलकर मिलन-शिविर के द्वार पर आए। वे अपने मुंह के बल गिरे। तब उन्‍हें प्रभु की महिमा दिखाई दी। प्रभु मूसा से बोला, ‘लाठी ले! तू अपने साथ अपने भाई हारून तथा इस्राएली मंडली को एकत्र कर, और उनकी आंखों के सामने चट्टान को आदेश दे कि वह अपना जल प्रदान करे। इस प्रकार तू उनके लिए चट्टान से जल बाहर निकालेगा, और मंडली के जनसमुदाय तथा उनके पशुओं को पानी पिलाएगा।’ मूसा ने प्रभु के सम्‍मुख से लाठी उठा ली, जैसी आज्ञा प्रभु ने उनको दी थी। मूसा और हारून ने चट्टान के सामने धर्मसभा को एकत्र किया, और मूसा ने कहा, ‘अरे विद्रोहियो, मेरी बात सुनो! क्‍या हम इस चट्टान से तुम्‍हारे लिए पानी बाहर निकालें?’ मूसा ने अपना हाथ ऊपर उठाया और अपनी लाठी से दो बार चट्टान पर प्रहार किया। तब अपार जल बाहर फूट कर निकल पड़ा! इस्राएली जनसमुदाय और उनके पशुओं ने पानी पिया। परन्‍तु प्रभु ने मूसा और हारून से कहा, ‘तुम दोनों ने मुझ पर विश्‍वास नहीं किया! मुझे इस्राएली समाज की दृष्‍टि में पवित्र सिद्ध नहीं किया, इसलिए तुम इस धर्मसभा को उस देश में नहीं ले जा सकोगे जिसे मैंने उन्‍हें प्रदान किया है।’

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