रथ सड़कों पर अंधाधुन्ध दौड़ने लगे। वे चौराहों पर इधर-उधर दौड़ रहे हैं। वे मशालों की तरह चमक रहे हैं। वे बिजली की गति से झपटते हैं। सेनाधिकारियों को बुलाया गया। वे गिरते-पड़ते जा रहे हैं, वे शहरपनाह की ओर भाग रहे हैं। वहाँ रक्षा-मंडप तैयार किया गया है। नदी-बांध के फाटक खोल दिए गए; महल में निराशा छा गई। उसकी स्वामिनी बंदी बना ली गई। उसे ले जा रहे हैं। उसकी सेविकाएँ रो रही हैं। वे चकई की तरह विलाप कर रही हैं। वे अपनी छाती पीट रही हैं। नीनवे एक ऐसा तालाब है, जिसका पानी बह गया! वे आदेश देते हैं, ‘रुको रुको।’ पर कौन रुकता है! चांदी लूटो, सोना लूटो, खजाने का अन्त नहीं। कीमती वस्तुओं के ढेर लगे हैं। नीनवे महानगर उजड़ गया। विध्वंस और विनाश! हृदय डूब रहा है, घुटने कांप रहे हैं। कमर टूट गई; चेहरे पीले पड़ गए। सिंह की गुफा कहां है, जवान सिंह की मांद कहां गई, जहाँ सिंह अपना शिकार लाया करता था, जहाँ उसके बच्चे थे, और उन्हें सतानेवाला कोई न था? सिंह अपने बच्चों के लिए बहुत शिकार लाता और उन्हें फाड़ता था, वह अपनी सिंहनियों के लिए शिकार का गला घोंटता था। वह अपनी मांदों को अपने शिकार से, अपनी गुफाओं को शिकार के मांस से भर देता था।
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नहूम, जिसके नाम का अर्थ है आराम, परमेश्वर के शत्रुओं के लिए न्याय का संदेश लाता है और इज़राइल के लिए न्याय और आशा दोनों लाता है। जब आप ऑडियो अध्ययन सुनते हैं और भगवान के वचन से चुनिंदा छंद पढ़ते हैं तो नहूम के माध्यम से दैनिक यात्रा करें।
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