इसके बाद सैनिक येशु को भवन के अन्दर, अर्थात् राजभवन में, ले गए और उन्होंने वहाँ सारा सैन्य-दल एकत्र कर लिया। उन्होंने येशु को बैंगनी वस्त्र पहनाया और काँटों का मुकुट गूँथ कर उनके सिर पर लगा दिया। तब वे उनका अभिवादन करने लगे, “यहूदियों के राजा, प्रणाम!” उन्होंने उनके सिर पर सरकण्डे से मारा, उन पर थूका और उनके सामने घुटने टेक कर उनकी वन्दना की। इस प्रकार येशु का उपहास करने के बाद सैनिकों ने बैंगनी वस्त्र उतार लिया और उन्हें उनके निजी कपड़े पहना दिये। तत्पश्चात् वे येशु को क्रूस पर चढ़ाने के लिए नगर के बाहर ले गये। सिकन्दर और रूफस का पिता, कुरेने देश का निवासी शिमोन, गाँव से नगर में आ रहा था। वह उधर से निकला। सैनिकों ने उसे बेगार में पकड़ा कि वह येशु का क्रूस उठाकर ले चले। वे येशु को गुलगुता नामक स्थान पर लाए, जिसका अर्थ है : ‘खोपड़ी’ का स्थान। वहाँ लोग येशु को गन्धरस मिला दाखरस देने लगे, किन्तु उन्होंने उसे नहीं लिया। तब सैनिकों ने येशु को क्रूस पर चढ़ाया और−किसे क्या मिले−इसके लिए चिट्ठी डालकर उनके वस्त्र आपस में बाँट लिये।
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