वे यरूशलेम के मार्ग पर जा रहे थे। येशु शिष्यों के आगे-आगे चल रहे थे। शिष्य बहुत घबराए हुए थे और पीछे आने वाले लोग भयभीत थे। येशु बारहों को फिर अलग ले जा कर उन्हें बताने लगे कि मुझ पर क्या-क्या बीतेगी : “देखो, हम यरूशलेम जा रहे हैं। मानव-पुत्र महापुरोहितों और शास्त्रियों के हाथ में सौंप दिया जाएगा। वे उसे प्राणदण्ड के योग्य ठहराएँगे और अन्य-जातियों के हाथ में सौंप देंगे। वे उसका उपहास करेंगे, उस पर थूकेंगे, उसे कोड़े लगाएँगे और मार डालेंगे; पर वह तीन दिन के बाद फिर जी उठेगा।”
जबदी के पुत्र याकूब और योहन येशु के पास आए और उनसे बोले, “गुरुवर, हम चाहते हैं कि जो कुछ हम आपसे माँगें, आप उसे पूरा करें।” येशु ने उत्तर दिया, “तुम लोग क्या चाहते हो? मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?” उन्होंने कहा, “जब आपकी महिमा हो, तब हम दोनों को अपने साथ बैठने दीजिए−एक को अपने दाएँ और दूसरे को अपने बाएँ।” येशु ने उन से कहा, “तुम नहीं जानते कि तुम क्या माँग रहे हो। जो प्याला मुझे पीना है, क्या तुम उसे पी सकते हो और जो बपतिस्मा मुझे लेना है, क्या तुम उसे ले सकते हो?” उन्होंने उत्तर दिया, “हाँ, हम ले सकते हैं।” इस पर येशु ने कहा, “जो प्याला मुझे पीना है, उसे तुम पियोगे और जो बपतिस्मा मुझे लेना है, उसे तुम लोगे। किन्तु तुम्हें अपने दाएँ या बाएँ बैठाना मेरा काम नहीं है। ये स्थान उन लोगों के लिए हैं, जिनके लिए वे तैयार किए गये हैं।”
जब दस प्रेरितों को यह मालूम हुआ तो वे याकूब और योहन पर क्रुद्ध हो गये। येशु ने शिष्यों को अपने पास बुला कर उनसे कहा, “तुम जानते हो कि जो संसार के अधिपति माने जाते हैं, वे अपनी प्रजा पर निरंकुश शासन करते हैं और उनके सत्ता-धारी उन पर अधिकार जताते हैं। किन्तु तुम में ऐसी बात नहीं होगी। जो तुम लोगों में बड़ा होना चाहता है, वह तुम्हारा सेवक बने और जो तुम में प्रधान होना चाहता है, वह सब का दास बने; क्योंकि मानव-पुत्र अपनी सेवा कराने नहीं, बल्कि सेवा करने और बहुतों के बदले उनकी मुक्ति के मूल्य में अपने प्राण देने आया है।”
वे यरीहो नगर पहुँचे। जब येशु अपने शिष्यों तथा एक विशाल जनसमूह के साथ यरीहो से निकल रहे थे, तब तिमाई का पुत्र बरतिमाई, एक अन्धा भिखारी, सड़क के किनारे बैठा हुआ था। जब उसने सुना कि यह नासरत-निवासी येशु हैं, तो वह पुकार-पुकार कर कहने लगा, “हे येशु, दाऊद के वंशज! मुझ पर दया कीजिए!” बहुत-से लोगों ने उसे चुप रहने के लिए डाँटा; किन्तु वह और भी जोर से पुकारने लगा, “हे दाऊद के वंशज! मुझ पर दया कीजिए।” येशु रुक गए। उन्होंने कहा, “उसे बुलाओ।” लोगों ने अन्धे को बुलाया और कहा, “धैर्य रखो। उठो! वह तुम्हें बुला रहे हैं।” वह अपनी चादर फेंक कर उछल पड़ा और येशु के पास आया। येशु ने उससे पूछा, “क्या चाहते हो? मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?” अन्धे ने उत्तर दिया, “गुरुवर! मैं फिर देखने लगूं”। येशु ने उससे कहा, “जाओ तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ कर दिया।” उसी क्षण वह देखने लगा और मार्ग में येशु के पीछे हो लिया।