मीका 7:1-7

मीका 7:1-7 HINCLBSI

धिक्‍कार है मुझे, मैंने अवसर खो दिया! मैं ग्रीष्‍म काल के फल तब तोड़ने गया जब वे झड़ा लिए गए। मैं अंगूरों को चुनने तब गया जब वे तोड़ लिए गए। न अंगूर का एक गुच्‍छा और न अंजीर का एक फल मुझे मिला, जिन्‍हें खाने को मेरा दिल चाहता था। पृथ्‍वी से भक्‍त उठ गए, मनुष्‍यों में सत्‍यनिष्‍ठ व्यक्‍ति नहीं रहे। सब लोग हत्‍या के उद्देश्‍य से घात लगाते हैं। हर आदमी अपने भाई के लिए जाल बिछाता है। उनके हाथ में दुष्‍कर्म हैं, वे कुकर्म करने में निपुण हैं। शासक और न्‍यायाधीश घूस मांगते हैं। बड़े लोग मनमानी करते हैं। यों ये सब मिलकर कुचक्र रचते हैं। उनकी अच्‍छाई का अर्थ है−कंटीली झाड़ी! उनकी ईमानदारी का मतलब है−कांटे! उनके प्रहरियों द्वारा सूचित दिन, उनके दण्‍ड का दिन समीप आ गया। अब आतंक उनके निकट है। अपने पड़ोसी का भी विश्‍वास मत करो, अपने मित्र का भी भरोसा मत करो, अपनी प्रिय पत्‍नी से बोलने में भी सावधान रहो। क्‍योंकि पुत्र अपने पिता को तुच्‍छ समझता है; पुत्री अपनी मां का विरोध करती है; बहू अपनी सास का विरोध करती है; घर के ही लोग घरवाले के शत्रु बन गए हैं! मैं प्रभु की ओर दृष्‍टि लगाए हूं; मैं अपने उद्धारकर्ता परमेश्‍वर की प्रतीक्षा में हूं, मेरा परमेश्‍वर मेरी आवाज सुनेगा।