मत्ती 9:18-38

मत्ती 9:18-38 HINCLBSI

येशु उन से ये बातें कह ही रहे थे कि एक अधिकारी आया। उसने येशु के सामने घुटने टेक कर यह कहा, “मेरी बेटी की अभी-अभी मृत्‍यु हुई है। फिर भी आप चल कर उस पर हाथ रखिए और वह जीवित हो जाएगी।” येशु उठ कर अपने शिष्‍यों के साथ उसके पीछे गए। उस समय एक स्‍त्री, जो बारह बरस से रक्‍तस्राव से पीड़ित थी, पीछे से आई और उसने येशु के वस्‍त्र के सिरे को छू लिया; क्‍योंकि उसने अपने मन में यह कहा था − यदि मैं उनका वस्‍त्र ही छू लूँगी तो स्‍वस्‍थ हो जाऊंगी। येशु ने मुड़ कर उसे देखा और कहा, “पुत्री, धैर्य रखो। तुम्‍हारे विश्‍वास ने तुम्‍हें स्‍वस्‍थ कर दिया है।” और वह स्‍त्री उसी क्षण स्‍वस्‍थ हो गयी। जब येशु अधिकारी के घर पहुँचे और बाँसुरी बजाने वालों को और लोगों को रोते-पीटते देखा तो बोले, “हट जाओ, बालिका नहीं मरी है वरन् सो रही है।” इस पर वे उनकी हँसी उड़ाने लगे। जब भीड़ बाहर कर दी गयी, तब येशु घर के भीतर गए। उन्‍होंने हाथ पकड़ कर बालिका को उठाया और वह उठ खड़ी हुई। इस बात की चर्चा उस इलाके के कोने-कोने में फैल गयी। येशु वहाँ से आगे बढ़े तो दो अन्‍धे यह पुकारते हुए उनके पीछे हो लिये, “दाऊद के वंशज! हम पर दया कीजिए।” जब येशु घर पहुँचे, तो ये अन्‍धे उनके पास आए। येशु ने उन से पूछा, “क्‍या तुम्‍हें विश्‍वास है कि मैं यह कर सकता हूँ?” उन्‍होंने कहा, “जी हाँ, प्रभु!” तब येशु ने यह कहते हुए उनकी आँखों का स्‍पर्श किया, “जैसा तुमने विश्‍वास किया, वैसा ही तुम्‍हारे लिए हो जाए।” और उनकी आँखें खुल गयीं। येशु ने यह कहते हुए उन्‍हें कड़ी चेतावनी दी, “सावधान! यह बात कोई न जानने पाए।” परन्‍तु उन्‍होंने जाकर उस पूरे इलाके में येशु का नाम फैला दिया। दोनों बाहर निकल ही रहे थे कि कुछ लोग भूत से जकड़े हुए एक गूँगे मनुष्‍य को येशु के पास लाए। येशु ने भूत को निकाल दिया और वह गूँगा बोलने लगा। लोग अचम्‍भे में पड़ कर बोल उठे, “इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया है।” परन्‍तु फरीसियों ने कहा, “यह भूतों के नायक की सहायता से भूतों को निकालता है।” येशु सब नगरों और गाँवों में भ्रमण कर उनके सभागृहों में शिक्षा देते, राज्‍य के शुभसमाचार का प्रचार करते, और हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करते रहे। जनसमूह को देख कर येशु को उन पर तरस आया, क्‍योंकि वे उत्‍पीड़ित और निस्‍सहाय थे। वे उन भेड़ों के समान थे जिनका कोई चरवाहा न हो। येशु ने अपने शिष्‍यों से कहा, “फसल तो बहुत है, परन्‍तु मजदूर थोड़े हैं। इसलिए फसल के स्‍वामी से विनती करो कि वह अपनी फसल काटने के लिए मजदूरों को भेजे।”

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