मत्ती 27:1-26

मत्ती 27:1-26 HINCLBSI

जब प्रात:काल हुआ तब सब महापुरोहितों और समाज के धर्मवृद्धों ने परस्‍पर परामर्श किया कि येशु को मार डाला जाए। उन्‍होंने येशु को बाँधा और उन्‍हें ले जा कर राज्‍यपाल पिलातुस को सौंप दिया। जब येशु के पकड़वाने वाले यूदस ने देखा कि उन्‍हें दण्‍डाज्ञा मिली है, तब उसे पश्‍चात्ताप हुआ और वह महापुरोहितों और धर्मवृद्धों के पास चाँदी के तीस सिक्‍के वापस ले आया, और बोला, “मैंने निर्दोष रक्‍त का सौदा कर पाप किया है।” उन्‍होंने उत्तर दिया, “हमें इस से क्‍या! तुम जानो।” इस पर यूदस ने चाँदी के सिक्‍के मन्‍दिर में फेंक दिये और वहाँ से चला गया। तब जा कर उसने फांसी लगा ली। महापुरोहितों ने चाँदी के सिक्‍के उठा कर कहा, “इन्‍हें खजाने में जमा करना उचित नहीं है, यह तो रक्‍त की कीमत है।” इसलिए आपस में परामर्श करने के बाद उन्‍होंने परदेशियों को दफनाने के लिए उन सिक्‍कों से कुम्‍हार की जमीन खरीद ली। यही कारण है कि वह जमीन आज तक रक्‍त की जमीन कहलाती है। इस प्रकार नबी यिर्मयाह का यह कथन पूरा हो गया : “उन्‍होंने चाँदी के तीस सिक्‍के लिये। वही मूल्‍य इस्राएल के वंशजों ने उस अमूल्‍य व्यक्‍ति के लिए निर्धारित किया था; और उन्‍होंने ये सिक्‍के कुम्‍हार की जमीन के लिए दे दिये, जैसा कि प्रभु ने मुझे आदेश दिया था।” अब येशु राज्‍यपाल के सामने खड़े थे। राज्‍यपाल ने उन से पूछा, “क्‍या तुम यहूदियों के राजा हो?” येशु ने उत्तर दिया, “आप स्‍वयं यह कह रहे हैं।” महापुरोहित और धर्मवृद्ध उन पर अभियोग लगाते रहे, परन्‍तु येशु ने कोई उत्तर नहीं दिया। इस पर पिलातुस ने येशु से कहा, “क्‍या तुम नहीं सुनते कि ये तुम्‍हारे विरुद्ध कितनी गवाहियाँ दे रहे हैं?” फिर भी येशु ने उत्तर में एक शब्‍द भी नहीं कहा। इस पर राज्‍यपाल को बहुत आश्‍चर्य हुआ। पर्व के ऐसे अवसर पर राज्‍यपाल लोगों की इच्‍छानुसार एक बन्‍दी को रिहा किया करता था। उस समय बरअब्‍बा नामक एक कुख्‍यात व्यक्‍ति बन्‍दीगृह में था। पिलातुस ने इकट्ठे हुए लोगों से कहा, “तुम क्‍या चाहते हो? मैं तुम्‍हारे लिए किसे रिहा करूँ − बरअब्‍बा को, अथवा येशु को जो मसीह कहलाता है?” वह जानता था कि उन्‍होंने येशु को ईष्‍र्या से पकड़वाया है। इसके अतिरिक्‍त जब पिलातुस न्‍यायासन पर बैठा हुआ था, तब उसकी पत्‍नी ने यह संदेश भेजा था, “इस धर्मात्‍मा के मामले में हाथ नहीं डालना, क्‍योंकि इसी के कारण मुझे आज स्‍वप्‍न में बहुत कष्‍ट हुआ है।” इसी बीच महापुरोहितों और धर्मवृद्धों ने लोगों को बहका दिया कि वे बरअब्‍बा की मुक्‍ति और येशु की मृत्‍यु की माँग करें। राज्‍यपाल ने लोगों से फिर पूछा, “तुम क्‍या चाहते हो? दोनों में से किसे तुम्‍हारे लिए रिहा करूँ?” उन्‍होंने उत्तर दिया, “बरअब्‍बा को।” इस पर पिलातुस ने उन से कहा, “तो, मैं येशु का क्‍या करूँ, जो मसीह कहलाता है?” सब ने उत्तर दिया, “इसे क्रूस पर चढ़ाया जाए।” पिलातुस ने पूछा, “क्‍यों? इसने कौन-सा अपराध किया है?” किन्‍तु वे और भी जोर से चिल्‍ला उठे, “इसे क्रूस पर चढ़ाया जाए!” जब पिलातुस ने देखा कि येशु को बचाने में उसे सफलता नहीं मिल रही है, वरन् उपद्रव बढ़ता ही जा रहा है, तो उसने पानी मँगा कर लोगों के सामने हाथ धोए और कहा, “मैं इस मनुष्‍य के रक्‍त का दोषी नहीं हूँ। तुम लोग जानो।” सारी भीड़ ने उत्तर दिया, “इसका रक्‍त हम पर और हमारी सन्‍तान पर हो!” तब पिलातुस ने उनके लिए बरअब्‍बा को मुक्‍त कर दिया और येशु को कोड़े लगवा कर क्रूस पर चढ़ाने के लिए सैनिकों के हवाले कर दिया।