मत्ती 26:26-50

मत्ती 26:26-50 HINCLBSI

शिष्‍यों के साथ भोजन करते समय येशु ने रोटी ली, आशिष माँग कर तोड़ी और शिष्‍यों को दी, और कहा, “लो, खाओ। यह मेरी देह है।” तब उन्‍होंने कटोरा लिया और परमेश्‍वर को धन्‍यवाद दिया और यह कहते हुए उसे शिष्‍यों को दिया, “तुम सब इस में से पियो; क्‍योंकि यह विधान का मेरा रक्‍त है, जो बहुतों की पापक्षमा के लिए बहाया जा रहा है। मैं तुम से कहता हूँ : मैं दाख का यह रस उस दिन तक नहीं पिऊंगा, जब तक मैं अपने पिता के राज्‍य में तुम्‍हारे साथ नया रस न पिऊं।” भजन गाने के बाद येशु और उनके शिष्‍य जैतून पहाड़ पर चले गए। उस समय येशु ने शिष्‍यों से कहा, “आज रात को मेरे विषय में तुम सब के विश्‍वास का पतन होगा; क्‍योंकि धर्मग्रन्‍थ में यह लिखा है : ‘मैं चरवाहे को मारूँगा और झुण्‍ड की भेड़ें तितर-बितर हो जाएँगी’, किन्‍तु अपने पुनरुत्‍थान के पश्‍चात् मैं तुम लोगों से पहले गलील प्रदेश को जाऊंगा।” इस पर पतरस ने येशु से कहा, “चाहे आपके विषय में सब के विश्‍वास का पतन हो जाए; किन्‍तु मेरे विश्‍वास का पतन कभी नहीं होगा।” येशु ने उसे उत्तर दिया, “मैं तुम से सच कहता हूँ : आज रात को, मुर्गे के बाँग देने से पहले ही, तुम मुझे तीन बार अस्‍वीकार करोगे।” पतरस ने उन से कहा, “मुझे आपके साथ चाहे मरना ही क्‍यों न पड़े, मैं आप को कभी अस्‍वीकार नहीं करूँगा।” इसी प्रकार अन्‍य सब शिष्‍यों ने भी कहा। तब येशु अपने शिष्‍यों के साथ गतसमनी नामक स्‍थान पर आए। वह उन से बोले, “तुम लोग यहाँ बैठो। मैं तब तक वहाँ प्रार्थना करने जाता हूँ।” वह पतरस और जबदी के दोनों पुत्रों को अपने साथ ले गये। येशु उदास तथा व्‍याकुल होने लगे और उन से बोले, “मैं अत्‍यन्‍त व्‍याकुल हूँ मानो मेरे प्राण निकल रहे हों! तुम यहाँ ठहरो और मेरे साथ जागते रहो।” येशु कुछ आगे बढ़े और उन्‍होंने भूमि पर मुँह के बल गिर कर यह प्रार्थना की, “मेरे पिता! यदि हो सके, तो यह प्‍याला मुझ से टल जाए। फिर भी मेरी नहीं, बल्‍कि तेरी इच्‍छा पूरी हो।” तब वह अपने शिष्‍यों के पास गये और उन्‍हें सोया हुआ देख कर पतरस से बोले, “क्‍या तुम लोग घण्‍टे भर भी मेरे साथ नहीं जाग सके? जागते रहो और प्रार्थना करते रहो, जिससे तुम परीक्षा में न पड़ो। आत्‍मा तो तत्‍पर है, परन्‍तु शरीर दुर्बल।” वह फिर दूसरी बार गये और उन्‍होंने यह प्रार्थना की, “मेरे पिता! यदि यह प्‍याला मेरे पिये बिना नहीं टल सकता, तो तेरी ही इच्‍छा पूरी हो।” लौटने पर उन्‍होंने अपने शिष्‍यों को फिर सोया हुआ पाया, क्‍योंकि उनकी आँखें नींद से भारी हो रही थीं। येशु उन्‍हें छोड़ कर फिर गये और उन्‍हीं शब्‍दों को दोहराते हुए उन्‍होंने तीसरी बार प्रार्थना की। इसके पश्‍चात् वह अपने शिष्‍यों के पास आए और उनसे कहा, “अब तक सो रहे हो? आराम कर रहे हो? देखो! वह घड़ी निकट आ गयी है। मानव-पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जा रहा है। उठो! हम चलें! देखो, मुझे पकड़वाने वाला निकट आ गया है।” येशु यह कह ही रहे थे कि बारहों में से एक, अर्थात् यूदस आ गया। उसके साथ तलवारें और लाठियाँ लिये एक बड़ी भीड़ थी, जिसे महापुरोहितों और समाज के धर्मवृद्धों ने भेजा था। पकड़वाने वाले ने उन्‍हें यह कहते हुए संकेत दिया था, “मैं जिसका चुम्‍बन करूँगा, वही है। उसे पकड़ लेना।” उसने तुरन्‍त येशु के पास आ कर कहा, “गुरुवर! प्रणाम!” और उनका चुम्‍बन किया। येशु ने उससे कहा, “मित्र! जो करने आए हो, उसे कर लो।” तब लोग आगे बढ़ आए और उन्‍होंने येशु पर हाथ डाले और उन्‍हें गिरफ्‍तार कर लिया।

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