एक बार फरीसियों ने उन से पूछा कि परमेश्वर का राज्य कब आएगा, तब येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “परमेश्वर का राज्य प्रकट रूप से नहीं आता कि लोग उसे देखें। लोग यह नहीं कह सकेंगे, ‘देखो, वह यहाँ है’ अथवा ‘वह वहाँ है’; क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारे मध्य में है।”
येशु ने अपने शिष्यों से कहा, “ऐसा समय आएगा, जब तुम मानव-पुत्र का एक दिन भी देखना चाहोगे, किन्तु उसे नहीं देख पाओगे। लोग तुम से कहेंगे, ‘देखो, वह वहाँ है’ अथवा, ‘देखो, वह यहाँ है’, तो तुम उधर नहीं जाना और उनके पीछे नहीं भागना; क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से निकल कर दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मानव-पुत्र अपने दिन में होगा। परन्तु पहले उसे बहुत दु:ख उठाना होगा और यह अनिवार्य है कि वह इस पीढ़ी द्वारा ठुकराया जाए।
“जो नूह के दिनों में हुआ था, वही मानव-पुत्र के दिनों में भी होगा। नूह के जलयान पर चढ़ने के दिन तक लोग खाते-पीते और शादी-ब्याह करते रहे। तब जलप्रलय आया और उसने सब को नष्ट कर दिया। लोट के दिनों में भी यही हुआ था। लोग खाते-पीते, लेन-देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते रहे; परन्तु जिस दिन लोट ने सदोम नगर छोड़ा, परमेश्वर ने आकाश से आग और गन्धक की वर्षा की और सब नष्ट हो गये। मानव-पुत्र के प्रकट होने के दिन ऐसा ही होगा।
“उस दिन जो छत पर हो और उसका सामान घर में हो, वह उसे लेने नीचे न उतरे और जो खेत में हो, वह भी पीछे न लौटे। लोट की पत्नी की घटना को स्मरण रखो! जो अपना प्राण सुरक्षित रखने का प्रयत्न करेगा, वह उसे खो देगा, और जो उसे खो देगा, वह उसे जीवित रखेगा।
“मैं तुम से कहता हूँ, उस रात दो व्यक्ति एक खाट पर होंगे; एक उठा लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। दो स्त्रियाँ साथ-साथ चक्की पीसती होंगी; एक उठा ली जाएगी और दूसरी छोड़ दी जाएगी।” [ ।] इस पर शिष्यों ने येशु से पूछा, “प्रभु! यह कहाँ होगा?” उन्होंने उत्तर दिया, “जहाँ शव होगा, वहाँ गिद्ध भी इकट्ठे हो जाएँगे।”