लूकस 14:25-35

लूकस 14:25-35 HINCLBSI

येशु के साथ-साथ एक विशाल जनसमूह चल रहा था। उन्‍होंने मुड़ कर लोगों से कहा, “यदि कोई मेरे पास आता है और अपने माता-पिता, पत्‍नी, सन्‍तान, भाई-बहिनों और यहाँ तक कि अपने जीवन से बैर नहीं करता, तो वह मेरा शिष्‍य नहीं हो सकता। जो अपना क्रूस उठा कर नहीं ले जाता और मेरा अनुसरण नहीं करता, वह मेरा शिष्‍य नहीं हो सकता। “तुम में ऐसा कौन होगा, जो मीनार बनवाना चाहे और पहले बैठ कर खर्च का हिसाब न लगाए और यह न देखे कि क्‍या उसे पूरा करने की पूँजी उसके पास है? कहीं ऐसा न हो कि नींव डालने के बाद वह निर्माण-कार्य, पूरा न कर सके और देखने वाले यह कहते हुए उसकी हँसी उड़ाने लगें, ‘इस मनुष्‍य ने निर्माण-कार्य प्रारम्‍भ तो किया, किन्‍तु यह उसे पूरा नहीं कर सका।’ “अथवा कौन ऐसा राजा होगा जो दूसरे राजा से युद्ध करने जाता हो और पहले बैठ कर यह विचार न करे कि जो राजा बीस हजार सैनिकों की फौज के साथ उस पर चढ़ा आ रहा है, क्‍या वह दस हजार सैनिकों की फौज से उसका सामना कर सकता है? यदि वह सामना नहीं कर सकता है तो जब तक दूसरा राजा दूर है, वह राजदूतों को भेजकर उससे सन्‍धि का प्रस्‍ताव करेगा। “इसी तरह तुम में से जो व्यक्‍ति अपना सब कुछ नहीं त्‍याग देता, वह मेरा शिष्‍य नहीं हो सकता। “नमक अच्‍छा है, किन्‍तु यदि वह अपना गुण खो दे, तो वह किस प्रकार फिर सलोना किया जाएगा? वह न तो भूमि के किसी काम का रह जाता है और न खाद के। लोग उसे बाहर फेंक देते हैं। जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले।”

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