लेवीय व्यवस्था 26:3-16
लेवीय व्यवस्था 26:3-16 HINCLBSI
‘यदि तुम मेरी संविधि पर चलोगे, मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे और उनको व्यवहार में लाओगे तो मैं तुम्हारे लिए समय पर वर्षा प्रदान करूंगा, जिससे भूमि अपनी उपज उपजाएगी और मैदान के वृक्ष फल देंगे। तुम अंगूर के संचयकाल तक दंवरी करते रहोगे, और बुवाई के समय तक अंगूर का संचय। तुम रोटी खाकर तृप्त होगे और निश्चिन्त होकर अपने देश में निवास करोगे। मैं देश को शान्ति प्रदान करूंगा, और तुम निर्भय सो सकोगे; तुम्हें कोई नहीं डराएगा। मैं तुम्हारे देश में हिंस्र पशुओं को रहने नहीं दूंगा। कोई जाति तुम्हारे देश पर तलवार नहीं चलाएगी। तुम अपने शत्रुओं का पीछा करोगे, और वे तुम्हारी तलवार के कारण तुम्हारे सम्मुख गिरेंगे। तुम्हारे पांच मनुष्य सौ शत्रुओं का, और सौ मनुष्य दस हजार शत्रुओं का पीछा करेंगे; और वे तुम्हारी तलवार के कारण तुम्हारे सम्मुख गिरेंगे। मैं तुम्हारी ओर उन्मुख होऊंगा। तुम्हें फलवन्त एवं असंख्य बनाऊंगा; और तुम्हारे साथ अपने विधान को सुदृढ़ करूंगा। तुम पुराना संचित अनाज खाओगे, और नया अनाज रखने के लिए पुराना अनाज हटाओगे। मैं तुम्हारे मध्य में निवास करूंगा, और मेरा प्राण तुमसे घृणा नहीं करेगा। मैं तुम्हारे मध्य विचरण करूंगा। मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊंगा, और तुम मेरे लोग। मैं प्रभु, तुम्हारा परमेश्वर हूँ। मैंने ही तुम्हें मिस्र देश से बाहर निकाला है जिससे तुम उनके गुलाम न बने रहो। मैंने तुम्हारे जूए के बन्धन तोड़े, और तुम्हें सीधा खड़ा किया है। ‘परन्तु यदि तुम मेरी बात नहीं सुनोगे, और इन सब आज्ञाओं का पालन नहीं करोगे; यदि तुम मेरी संविधियों की अवहेलना करोगे; यदि तुम्हारे प्राण मेरे न्याय-सिद्धान्तों से घृणा करेंगे जिससे तुम मेरी आज्ञाओं का पालन न करो और मेरे विधान को तोड़ो, तो मैं तुम्हारे साथ यह व्यवहार करूंगा : तुम पर आतंक ढाहूंगा, तुम्हें क्षय रोग और ऐसे ज्वर से पीड़ित करूंगा जिसके कारण आंखें धंस जातीं और प्राण मुरझा जाते हैं। तुम्हारा बीज बोना व्यर्थ होगा; क्योंकि तुम्हारे शत्रु ही उनको खाएंगे।


