शोक-गीत 1:1

शोक-गीत 1:1 HINCLBSI

जो नगरी लोगों से भरी-पूरी थी, अब वह उजाड़ पड़ी है; वह विधवा के सदृश अकेली हो गई। जो कभी राष्‍ट्रों में महान थी, जो कभी नगरों में रानी थी, अब वह दासी बन गई, वह दूसरे राज्‍यों को कर चुकाती है।