अय्‍यूब 5:17-27

अय्‍यूब 5:17-27 HINCLBSI

‘धन्‍य है वह मनुष्‍य जिसको परमेश्‍वर ताड़ित करता है। अत: ओ अय्‍यूब, सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर की ताड़ना को तुम स्‍वीकार करो। यद्यपि वह घायल करता है, तथापि वह घावों पर पट्टी भी बांधता है। वह प्रहार करता है, पर उसके हाथ रोगी को स्‍वस्‍थ करते हैं। वह तुम्‍हें छ: विपत्तियों से बचाएगा, और सातवीं विपत्ति में भी तुम्‍हारी कुछ हानि न होगी। अकाल में वह तुम्‍हें मृत्‍यु से बचाएगा, और युद्ध में तलवार के आघात से। तुम शब्‍द-रूपी कोड़े की मार से बचे रहोगे, विनाश के आगमन पर तुम भयभीत नहीं होगे; बल्‍कि तुम विनाश और अकाल पर हँसोगे; तुम्‍हें पृथ्‍वी के किसी भी जंगली पशु से डर नहीं लगेगा। खेत में पड़े पत्‍थर तुमसे सन्‍धि करेंगे; और वनपशु भी तुमसे मैत्री करेंगे। तब तुम्‍हें अनुभव होगा कि तुम्‍हारा शिविर सुरक्षित है, तुम अपनी पशुशाला का निरीक्षण करोगे और तुम्‍हारा एक भी पशु कम न मिलेगा। तुम्‍हें यह भी ज्ञात होगा कि तुम्‍हारा वंश बढ़ता जा रहा है; तुम्‍हारे वंशज पृथ्‍वी की घास के सदृश असंख्‍य होंगे। तुम्‍हें पूर्ण आयु की सुखद मृत्‍यु प्राप्‍त होगी; जैसे अनाज पकने पर, अनाज का पूला खलियान में लाया जाता है, वैसे ही तुम आयु पकने पर दफनाए जाओगे। देखो, हमने यह ज्ञान बहुत खोज के बाद प्राप्‍त किया है, और यही सच है। सुनो, और अपने हित के लिए इसे जानो।’

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