अय्‍यूब 19:19-27

अय्‍यूब 19:19-27 HINCLBSI

मेरे सब घनिष्‍ठ मित्र मुझसे घृणा करते हैं, मेरे प्रियजन भी मेरे विरोधी बन गए हैं। मेरे शरीर की खाल, मेरी हड्डियों से चिपक गयी है; मैं मृत्‍यु से बाल-बाल बचा हूँ। ‘ओ मेरे मित्रो, मुझ पर दया करो, मुझ पर दया करो! क्‍योंकि परमेश्‍वर ने ही मुझे रोगी बनाया है! मित्रो, परमेश्‍वर के समान, तुम क्‍यों मेरे पीछे हाथ धोकर पड़े हो; क्‍या तुम्‍हें मेरे शरीर के रोग से सन्‍तोष नहीं मिला? ‘काश! मेरे ये शब्‍द लिखे जाते! काश! मेरी ये बातें पुस्‍तक में लिखी जातीं! काश! लोहे की कलम और सीसे से वे सदा के लिए चट्टान पर अंकित की जातीं। किन्‍तु मैं जानता हूँ कि मेरा उद्धारकर्ता जीवित है; और वह अन्‍त में पृथ्‍वी पर खड़ा होगा। चाहे मेरे शरीर से मेरी खाल उतर जाए उसके बाद भी मैं इस देह से परमेश्‍वर के दर्शन करूँगा। मेरा हृदय बेचैन है, कि मैं अपने पक्ष में परमेश्‍वर को खड़ा हुआ देखूँ। मेरी आँखें उसको विरोधी के रूप में नहीं, वरन् अपने पक्षकर्त्ता के रूप में देखने को विकल हैं।

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