योहन 3:1-18

योहन 3:1-18 HINCLBSI

फरीसी सम्‍प्रदाय का एक मनुष्‍य था। उसका नाम निकोदेमुस था। वह यहूदियों का एक धर्मगुरु था। वह रात में येशु के पास आया और बोला, “गुरुजी, हम जानते हैं कि आप परमेश्‍वर की ओर से आए हुए गुरु हैं। आप जो आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न दिखाते हैं, उन्‍हें कोई तब तक नहीं दिखा सकता, जब तक कि परमेश्‍वर उसके साथ न हो।” येशु ने उसे उत्तर दिया, “मैं आप से सच-सच कहता हूँ, जब तक कोई ऊपर से† जन्‍म न ले, तब तक वह परमेश्‍वर का राज्‍य नहीं देख सकता।” निकोदेमुस ने उनसे पूछा, “मनुष्‍य कैसे बूढ़ा हो जाने पर जन्‍म ले सकता है? क्‍या वह अपनी माता के गर्भ में दूसरी बार प्रवेश कर जन्‍म ले सकता है?” येशु ने उत्तर दिया, “मैं आप से सच-सच कहता हूँ; जब तक कोई जल और आत्‍मा से जन्‍म न ले, तब तक वह परमेश्‍वर के राज्‍य में प्रवेश नहीं कर सकता। जो शरीर से उत्‍पन्न होता है, वह शरीर है और जो आत्‍मा से उत्‍पन्न होता है, वह आत्‍मा है। आश्‍चर्य न कीजिए कि मैंने यह कहा कि आप को ऊपर से जन्‍म लेना आवश्‍यक है। वायु जिधर चाहती, उधर बहती है। आप उसकी आवाज सुनते हैं, किन्‍तु यह नहीं जानते कि वह किधर से आती और किधर जाती है। जो आत्‍मा से जन्‍मा है, वह ऐसा ही है।” निकोदेमुस ने उन से पूछा, “यह कैसे हो सकता है?” येशु ने उसे उत्तर दिया, “आप इस्राएल के गुरु हैं और ये बातें भी नहीं समझते! मैं आप से सच-सच कहता हूँ : हम जो जानते हैं, वही कहते हैं और हम ने जो देखा है, उसी की साक्षी देते हैं, किन्‍तु आप लोग हमारी साक्षी स्‍वीकार नहीं करते। मैंने आप को पृथ्‍वी की बातें बतायीं और आप विश्‍वास नहीं करते। यदि मैं आप को स्‍वर्ग की बातें बताऊं, तो आप कैसे विश्‍वास करेंगे? “कोई व्यक्‍ति स्‍वर्ग पर नहीं चढ़ा। केवल एक, अर्थात् मानव-पुत्र जो स्‍वर्ग से उतरा है। जिस तरह मूसा ने निर्जन प्रदेश में साँप को ऊपर उठाया था, उसी तरह मानव-पुत्र का भी ऊपर उठाया जाना अनिवार्य है, जिससे जो कोई विश्‍वास करता है, वह उसमें शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त करे। ” “परमेश्‍वर ने संसार से इतना प्रेम किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्‍वास करता है, वह नष्‍ट न हो, बल्‍कि शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त करे। परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराए। उसने उसे इसलिए भेजा है, कि संसार उसके द्वारा मुक्‍ति प्राप्‍त करे। “जो पुत्र में विश्‍वास करता है, वह दोषी नहीं ठहराया जाता है। जो विश्‍वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; क्‍योंकि वह परमेश्‍वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्‍वास नहीं करता।

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