जैसे मैं बीते वर्षों में उन को उखाड़ने, तोड़ने, उलट-पुलट करने, उनका सर्वनाश करने, और उन पर विपत्ति ढाहने की बात सोचता था, वैसे ही अब उनका पुनर्निर्माण करने और उनको रोपने की बात सोचूंगा। मुझ-प्रभु की यह वाणी है।
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