यिर्मयाह 30:12-17
यिर्मयाह 30:12-17 HINCLBSI
‘प्रभु यों कहता है; ओ इस्राएली कौम, तेरी चोट असाध्य है, तेरा घाव गहरा है। तुझे न्याय दिलानेवाला कोई नहीं है। तेरे घाव की कोई दवा नहीं है; तेरा रोग स्वस्थ नहीं होगा। तेरे सभी प्रेमी तुझे भूल गए हैं; अब वे तेरी कामना नहीं करते। मैंने तुझे शत्रु जैसा मारा है, निर्दय शत्रु के समान तुझे कठोर दण्ड दिया है; क्योंकि तूने बड़े-बड़े दुष्कर्म किये हैं, तेरे पाप गंभीर हैं। तू अपनी चोट के लिए क्यों चिल्लाती है? तेरे दर्द का कोई इलाज नहीं है। क्योंकि तूने बड़े-बड़े दुष्कर्म किए हैं, तेरे पाप गंभीर हैं। इसीलिए मैंने तेरे साथ यह व्यवहार किया है। सुन, जो तुझ को खाते हैं, उनको भी दूसरे खा लेंगे। तेरा प्रत्येक बैरी, तेरे सब शत्रु बन्दी बनकर अपने देश से निष्कासित होंगे। तुझको लूटनेवाला स्वयं लूटा जाएगा; जो तुझको हड़पेगा, उसको दूसरे हड़प लेंगे। मैं-प्रभु कहता हूँ : मैं तेरा स्वास्थ्य तुझे लौटाऊंगा, मैं तेरे घाव भर दूंगा। क्योंकि तेरे शत्रुओं ने तुझे ‘परित्यक्ता’ कहा है : “देखो, यह है सियोन नगरी, जिसकी अब कोई चिन्ता नहीं करता।”


