यिर्मयाह 15:15-18

यिर्मयाह 15:15-18 HINCLBSI

प्रभु, तू सब जानता है; मुझे स्‍मरण रख, मेरी सुधि ले। मेरे प्राण के खोजियों से प्रतिशोध ले। प्रभु, तू सहनशील है, अत: मुझे मरने से बचा ले। प्रभु, तुझे यह मालूम है कि मैंने तेरे कारण ही निन्‍दा सही है। जब मुझे तेरे वचन मिले तब मैंने उन्‍हें ऐसा ग्रहण किया था कि मानो मैं कोई स्‍वादिष्‍ट व्‍यंजन खा रहा हूं। तेरे वचन मेरे लिए हर्ष का कारण बन गए। वे मेरे हृदय का आनन्‍द थे। क्‍योंकि, हे स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु परमेश्‍वर, मैं तेरा नबी कहलाता हूं। मैं हंसी-मजाक करने वालों के साथ नहीं बैठता था; और न आनन्‍द मनाता था। मैं तो अकेला था, पर तेरा हाथ मुझ पर था। तूने ही मुझे क्रोध से भरा था। तब क्‍यों मेरी पीड़ा दूर नहीं हो रही है? मेरा घाव क्‍यों नहीं भर रहा है? क्‍या तू मेरे लिए मृग-तृष्‍णा बन गया है? क्‍या तू ऐसा झरना हो गया है, जो सूख जाता है? क्‍या तू गरजनेवाला बादल हो गया है; जो गरजता तो है पर बरसता नहीं?