यशायाह 53:10-12

यशायाह 53:10-12 HINCLBSI

यह प्रभु की इच्‍छा थी कि वह मार सहे, प्रभु ने उसे दु:ख से पीड़ित किया। जब वह पाप-बलि के लिए अपना प्राण अर्पित करता है, तब वह अपने वंश को देखेगा; वह दीर्घायु प्राप्‍त करेगा। उसके हाथ से प्रभु की इच्‍छा सफल होगी। जो पीड़ा उसने अपने प्राण में सही है, उसका फल देखकर वह सन्‍तुष्‍ट होगा। प्रभु कहता है : ‘मेरा धार्मिक सेवक अपने ज्ञान के द्वारा अनेक लोगों को धार्मिक बनाएगा; वह उनके दुष्‍कर्मों का फल स्‍वयं भोगेगा। अत: मैं महान व्यक्‍तियों के साथ उसका भाग बांटूंगा, और वह बलवानों के साथ “लूट” बांटेगा। उसने मृत्‍यु की वेदी पर अपना प्राण अर्पित कर दिया; और वह अपराधियों के साथ गिना गया। फिर भी उसने अनेक लोगों के पाप का बोझ उठाया, और अपराधियों के लिए प्रार्थना की।’

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