यशायाह 48:12-20

यशायाह 48:12-20 HINCLBSI

‘ओ याकूब, ओ इस्राएल, मेरी बात सुन! मैंने तुझे मनोनीत किया है। मैं ही ‘वह’ हूं, मैं ही आदि हूं, मैं ही अन्‍त हूं। मैंने अपने हाथ से पृथ्‍वी की नींव डाली है; मेरे ही दाहिने हाथ ने आकाश को वितान के सदृश फैलाया है। जब मैं आकाश और पृथ्‍वी को बुलाता हूं, तब वे दोनों मेरे सम्‍मुख उपस्‍थित हो जाते हैं! ‘ओ सब इस्राएलियो, एकत्र हो, और मेरी बात सुनो। किस देवता ने पहले से ये बातें तुम्‍हें बताई थीं? प्रभु राजा कुस्रू से प्रेम करता है, वही प्रभु का अभिप्राय बेबीलोन देश में पूरा करेगा; वह प्रभु का सामर्थ्य कसदी कौम पर प्रकट करेगा। मैंने, हां मैंने ही यह कहा है, मैंने ही कुस्रू को बुलाया है। मैं ही उसको लाया हूं, उसका हर काम सफल होगा। समीप आओ, मेरी यह बात सुनो। आरम्‍भ से ही मैंने तुमसे गुप्‍त रूप में कोई बात नहीं कही। सृष्‍टि के रचना-काल से मैं वहाँ हूं।’ − अब स्‍वामी प्रभु ने मुझे अपने आत्‍मा के साथ भेजा है। प्रभु, तेरा मुक्‍तिदाता, इस्राएल का पवित्र परमेश्‍वर यों कहता है : ‘मैं तेरा प्रभु परमेश्‍वर हूं। मैं तेरे लाभ के लिए शिक्षा देनेवाला तेरा शिक्षक हूं, जिस मार्ग पर तुझे चलना चाहिए, उस मार्ग पर तुझे चलानेवाला तेरा पथ-प्रदर्शक हूं। भला होता कि तू मेरी आज्ञाओं को ध्‍यान से सुनता, तब नदी के बहते जल की तरह, तेरा कल्‍याण होता, सागर की लहरों की तरह तेरी धार्मिकता होती। तेरे वंशज रेत के सदृश असंख्‍य होते, तेरी सन्‍तान उसके कणों के समान अगणित होती। उनका नाम मेरे सम्‍मुख से न कभी काटा जाता, और न मिटाया जाता।’ बेबीलोन देश से बाहर निकलो, कसदी कौम के बीच में रहनेवालो, भागो! जय-जयकार करते हुए यह शुभ सन्‍देश घोषित करो। पृथ्‍वी के सीमान्‍तों तक सन्‍देशवाहकों को भेजो, और यह कहो, “प्रभु ने अपने सेवक याकूब को छुड़ा लिया है।”

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