यशायाह 40:25-31

यशायाह 40:25-31 HINCLBSI

पवित्र परमेश्‍वर पूछता है, “तुम किससे मेरी तुलना करोगे? मैं किस के समान हूं? आकाश की ओर आंखें उठाओ, और देखो: इन तारों को किसने रचा है? मैं-प्रभु ने! मैं सेना के सदृश उनकी गणना करता हूं; और हर एक तारे को उसके नाम से पुकारता हूं। मेरी शक्‍ति असीमित है, मेरा बल अपार है, अत: प्रत्‍येक तारा मुझे उत्तर देता है।” ओ याकूब, तू यह क्‍यों कहता है; ओ इस्राएल, तू क्‍यों बोलता है कि तेरा आचरण प्रभु से छिपा है? तेरा परमेश्‍वर तेरे अधिकार पर ध्‍यान नहीं देता है? क्‍या तुम नहीं जानते? क्‍या तुमने नहीं सुना? प्रभु शाश्‍वत परमेश्‍वर है, वह समस्‍त पृथ्‍वी का सृष्‍टिकर्ता है। वह न निर्बल है, और न थकता है। उसकी समझ अगम है! वह शक्‍तिहीन को शक्‍ति प्रदान करता है, वह बलहीन का बल बढ़ाता है। युवक भी निर्बल हो जाते हैं, वे थक जाते हैं, तरुण भी थक कर चूर हो जाते हैं। परन्‍तु प्रभु की प्रतीक्षा करनेवाले नया बल प्राप्‍त करते जाएंगे, वे गरुड़ के पंखों की तरह नवशक्‍ति प्राप्‍त कर ऊंचे उड़ेंगे; वे दौड़ेंगे, पर थकेंगे नहीं; वे चलते रहेंगे, किन्‍तु निर्बल नहीं होंगे।

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