सभा-उपदेशक 7:1-4

सभा-उपदेशक 7:1-4 HINCLBSI

नाम की सुगन्‍ध अनमोल इत्र की सुगन्‍ध से श्रेष्‍ठ है। मृत्‍यु का दिन जन्‍म के दिन से उत्तम है। भोज के उत्‍सव में सम्‍मिलित होने की अपेक्षा मृत्‍यु-शोक से पीड़ित परिवार में जाना अच्‍छा है, क्‍योंकि मृत्‍यु ही सब मनुष्‍यों का अन्‍त है। अत: जीवित व्यक्‍ति गम्‍भीरतापूर्वक अपने अन्‍त पर विचार करेगा। हास्‍य से श्रेष्‍ठ है विलाप; क्‍योंकि मुख का दु:ख हृदय का सुख है। बुद्धिमान व्यक्‍ति का हृदय शोक-पीड़ित परिवार में लगा रहता है, किन्‍तु मूर्ख मनुष्‍य का मन आमोद-प्रमोद करनेवाले घर में लगा रहता है।