मूसा मोआब के मैदानों को छोड़कर नबो पहाड़ी चोटी पर, पिस्गाह के शिखर पर चढ़े, जो यरीहो नगर के सम्मुख है। तब प्रभु ने उन्हें ये सब प्रदेश दिखाए : गिलआद से दान तक का प्रदेश, नफ्ताली कुल का प्रदेश, एफ्रइम तथा मनश्शे वंशीय लोगों का प्रदेश, और भूमध्यसागर के तट तक यहूदा कुल का समस्त प्रदेश, नेगेब प्रदेश, यरीहो अर्थात् खजूर के वृक्षों के नगर की अण्डाकार घाटी से सोअर नगर तक का समस्त प्रदेश। प्रभु ने उनसे कहा, ‘यही है वह देश जिसके विषय में मैंने अब्राहम, इसहाक और याकूब से यह शपथ खाई थी : “मैं यह देश तुम्हारे वंशजों को दूंगा।” मैंने तुझे इसके दर्शन करा दिए। पर तू स्वयं वहां नहीं जा सकेगा।’ यों प्रभु के वचन के अनुसार प्रभु के सेवक मूसा की मृत्यु वहां मोआब देश में हुई। प्रभु ने बेत-पओर के सम्मुख मोआब देश की घाटी में मूसा को गाड़ दिया। परन्तु आज तक कोई व्यक्ति नहीं जानता है कि मूसा की कबर कहां है। जब मूसा की मृत्यु हुई तब उनकी आयु एक सौ बीस वर्ष थी। परन्तु न उनकी आंखें धुंधली पड़ी थीं और न उनके शरीर की स्फूर्ति कम हुई थी। इस्राएली समाज ने मोआब के मैदान में मूसा के लिए तीस दिन तक शोक मनाया। उसके बाद उसके मृत्यु-शोक और विलाप के दिन समाप्त हुए।
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