व्‍यवस्‍था-विवरण 10:14-22

व्‍यवस्‍था-विवरण 10:14-22 HINCLBSI

‘देखो यह आकाश, उच्‍च आकाश, और पृथ्‍वी तथा उसमें जो कुछ है, वह सब तुम्‍हारे प्रभु परमेश्‍वर ही का है। फिर भी प्रभु ने तुम्‍हारे ही पूर्वजों के प्रति प्रेम की कामना की, और उनके पश्‍चात् उनके वंशजों को, अर्थात् तुम्‍हीं को अन्‍य जातियों में से चुना, जैसा आज भी है। अत: अपने हृदय को विनम्र बनाओ, और हठीले न बने रहो क्‍योंकि तुम्‍हारा प्रभु परमेश्‍वर समस्‍त देवताओं का परमेश्‍वर है। वह समस्‍त स्‍वामियों का स्‍वामी है। वह महान, बलवान और आतंकमय परमेश्‍वर है। वह किसी का पक्षपात नहीं करता, और न किसी से घूस ही लेता है। वह पितृहीन और विधवा का न्‍याय करता है। वह तुम्‍हारे देश में रहने वाले प्रवासी व्यक्‍ति से प्रेम करता है, उसको भोजन-वस्‍त्र देता है। अत: प्रवासी व्यक्‍ति से प्रेम करो, क्‍योंकि तुम भी मिस्र देश में प्रवासी थे। ‘तू प्रभु परमेश्‍वर की भक्‍ति करना। तू उसकी आराधना करना, और उससे ही सम्‍बद्ध रहना। तू केवल उसके नाम की शपथ खाना। वही तेरे लिए आराध्‍य है। वह तेरा परमेश्‍वर है, जिसने तेरे लिए महान और आतंकमय कार्य किए हैं, जिनको तूने अपनी आंखों से देखा है। जब तेरे पूर्वज मिस्र देश गए, तब वे केवल सत्तर प्राणी थे; किन्‍तु अब तेरे प्रभु परमेश्‍वर ने तुझे आकाश के तारों के समान असंख्‍य बना दिया है। तू अपने प्रभु परमेश्‍वर से प्रेम करना, तथा उसके द्वारा सौंपे गये दायित्‍वों और उसके आदेशों, उसकी संविधियों और आज्ञाओं का सदा पालन करना।

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