प्रेरितों 2:1-12

प्रेरितों 2:1-12 HINCLBSI

जब पेंतेकोस्‍त पर्व का दिन आया और सब शिष्‍य एक स्‍थान पर इकट्ठे थे, तो अचानक बड़ी आँधी के झोंके जैसी आवाज आकाश से सुनाई पड़ी और सारा घर, जहाँ वे बैठे हुए थे, गूँज उठा। उन्‍हें एक प्रकार की आग दिखाई पड़ी, जो जीभों में विभाजित हो कर उन में से हर एक के ऊपर आ कर ठहर गयी। वे सब पवित्र आत्‍मा से परिपूर्ण हो गये और जो वाणी का वरदान पवित्र आत्‍मा ने उन्‍हें दिया, उस के अनुसार भिन्न-भिन्न भाषाओं में बोलने लगे। पृथ्‍वी के सब देशों से आये हुए भक्‍त यहूदी उस समय यरूशलेम में निवास कर रहे थे। जब यह आवाज हुई, तो भीड़ लग गई। लोग घबरा गये; क्‍योंकि हर एक अपनी-अपनी भाषा में शिष्‍यों को बोलते सुन रहा था। वे चकित रह गये और विस्‍मित हो कहने लगे, “क्‍या ये बोलने वाले सब-के-सब गलीली नहीं हैं? तो फिर हम में हर एक अपनी-अपनी जन्‍मभूमि की भाषा कैसे सुन रहा है? हम पारथी, मादी और एलामी लोग; मेसोपोतामिया, यहूदा और कप्‍पदूकिया, पोंतुस और आसिया, फ्रुगिया और पंफुलिया, मिस्र और कुरेने के निकटवर्ती लीबिया के निवासी; रोम के यहूदी तथा नवयहूदी प्रवासी, क्रेती और अरबी लोग − हम सब अपनी-अपनी भाषा में इन्‍हें परमेश्‍वर के महान कार्यों की चर्चा करते सुन रहे हैं।” वे सब चकित रह गये और दुविधा में पड़कर एक-दूसरे से कहने लगे, “यह क्‍या बात है?”

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