तब समस्त कलीसिया की सहमति से प्रेरितों तथा धर्मवृद्धों ने निश्चय किया कि उन में से कुछ लोगों को चुन कर पौलुस तथा बरनबास के साथ महानगर अन्ताकिया भेजा जाये। उन्होंने दो व्यक्तियों को चुना, जो भाई-बहिनों में प्रमुख थे, अर्थात् यहूदा को, जो बरसब्बास कहलाता था, तथा सीलास को, और उनके हाथ यह पत्र भेजा : “प्रेरित तथा धर्मवृद्ध, आप लोगों के भाई, अन्ताकिया, सीरिया तथा किलिकिया के गैर-यहूदी भाई-बहिनों को नमस्कार करते हैं। हमने सुना है कि हमारे यहाँ के कुछ लोगों ने, जिन्हें हमने कोई अधिकार नहीं दिया था, अपनी बातों से आप लोगों में घबराहट उत्पन्न की और आपके मन को उलझन में डाल दिया है। इसलिए हमने सर्वसम्मति से निर्णय किया है कि प्रतिनिधियों का चुनाव करें और उन को अपने प्रिय भाई बरनबास और पौलुस के साथ, जिन्होंने हमारे प्रभु येशु मसीह के नाम पर अपना जीवन अर्पित किया है, आप लोगों के पास भेजें। इसलिए हम यहूदा तथा सीलास को भेज रहे हैं। वे भी आप लोगों को यह सब मैखिक रूप से बता देंगे। पवित्र आत्मा को और हमें यह उचित जान पड़ा कि निम्नलिखित आवश्यक बातों को छोड़ आप लोगों पर कोई और भार न डाला जाये : आप लोग मूर्तियों पर चढ़ाये हुए मांस से, रक्त के खान-पान से, गला घोंटे हुए पशुओं के मांस से और व्यभिचार से परहेज करें। इन से अपने को बचाये रखने में आप लोगों का कल्याण है। शुभकामना!” वे विदा हो कर महानगर अन्ताकिया चले गये। जब उन्होंने मंडली को एकत्र किया तब वह पत्र उन्हें सौंप दिया। मंडली के सदस्यों ने पत्र पढ़ा तो वे प्रोत्साहनपूर्ण संदेश से प्रसन्न हुए। यहूदा और सीलास स्वयं नबी थे। उन्होंने भी भाई-बहिनों को देर तक सम्बोधित कर प्रोत्साहित और विश्वास में दृढ़ किया। वे कुछ समय वहाँ रहे और इसके बाद वे भाई-बहिनों की मंगल-कामनाएँ ले कर विदा हुए और उन लोगों के पास लौटे, जिन्होंने उन्हें भेजा था। [ किन्तु सीलास ने वहाँ रहने का निश्चय किया और यहूदा अकेले ही यरूशलेम लौटा।] पौलुस और बरनबास अन्ताकिया में रह गये और अन्य बहुत लोगों के साथ प्रभु के वचन की शिक्षा देते और शुभ समाचार सुनाते रहे। कुछ दिन पश्चात् पौलुस ने बरनबास से कहा, “आइए, हमने जिन-जिन नगरों में प्रभु के वचन का प्रचार किया है, वहाँ चल कर भाई-बहिनों से मिलें और यह देखें कि वे कैसे हैं।” बरनबास चाहते थे कि वे योहन को भी, जो मारकुस कहलाता था, अपने साथ ले जायें। परन्तु पौलुस ने यह उपयुक्त नहीं समझा कि जिस व्यक्ति ने उन्हें पम्फुलिया में छोड़ दिया था और आगे उनके काम में हाथ नहीं बँटाया था, उसे अपने साथ ले जायें। इस पर दोनों में इतना तीव्र मतभेद हो गया कि वे एक दूसरे से अलग हो गये। बरनबास मारकुस को अपने साथ ले कर जलमार्ग से कुप्रुस द्वीप चले गए। पौलुस ने सीलास को चुना। भाई-बहिनों ने उन्हें प्रभु के अनुग्रह को अर्पित किया और पौलुस चल पड़े। उन्होंने सीरिया देश तथा किलिकिया का भ्रमण किया और कलीसियाओं को विश्वास में दृढ़ किया।
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