2 शमूएल 22:1-20

2 शमूएल 22:1-20 HINCLBSI

जिस दिन प्रभु ने दाऊद को उसके सब शत्रुओं के हाथ से और शाऊल के हाथ से मुक्‍त किया, उस दिन दाऊद ने प्रभु को सम्‍बोधित करते हुए यह गीत गाया : ‘प्रभु मेरी चट्टान, मेरा शरण-स्‍थल और मेरा मुक्‍तिदाता है! वह मेरा परमेश्‍वर, मेरी चट्टान है; मैं उसकी शरण में आता हूँ। वह मेरी ढाल, मेरा शक्‍तिशाली उद्धारकर्ता, मेरा गढ़, मेरा आश्रय-स्‍थल है। प्रभु, हिंसा से तू मुझे बचाता है। मैं प्रभु को पुकारता हूँ, जो सर्वथा स्‍तुति के योग्‍य है। मैं अपने शत्रुओं से मुक्‍त हुआ हूँ। ‘मृत्‍यु की तरंगों ने मुझे लपेट लिया; विनाश की प्रचंड धारा ने मुझ पर आक्रमण किया। मृतक-लोक के पाश-बन्‍धन ने मुझे उलझाया; मृत्‍यु का फन्‍दा मेरे सम्‍मुख आया। ‘मैंने संकट में प्रभु को पुकारा; मैंने अपने परमेश्‍वर की दुहाई दी। उसने अपने मन्‍दिर से मेरी वाणी सुनी; मेरी दुहाई उसके कानों में पहुँची। ‘तब धरती में कम्‍पन हुआ, वह डोल उठी; आकाश के आधार-स्‍तम्‍भ कांप उठे, वे हिल गए; क्‍योंकि प्रभु अत्‍यन्‍त क्रुद्ध था। उसके नथनों से धुआं निकलने लगा; और उसके मुँह से भस्‍म करने वाली अग्‍नि, उससे दहकते अंगारे निकल पड़े। वह स्‍वर्ग को झुकाकर नीचे उतर आया। उसके चरणों-तले गहन अन्‍धकार था। वह करूब पर सवार हो, उड़ गया; वह पवन के पंखों पर वेगपूर्वक उतरा। उसने अन्‍धकार को अपने चारों ओर ओढ़ लिया; गगन के काले मेघ उसका वितान थे। उसके सम्‍मुख के आलोक से दहकते अंगारे फूट पड़े! प्रभु आकाश में गरजने लगा, सर्वोच्‍च परमेश्‍वर ने नाद किया। उसने बाण छोड़े, और शत्रुओं को छिन्न- भिन्न कर दिया। विद्युत की चमक ने उनमें भगदड़ मचा दी। तब प्रभु की डाँट से उसकी नासिका के श्‍वास के धमाके से सागर के स्रोत दिखाई दिए; पृथ्‍वी की नींव प्रकट हुई। ‘उसने उच्‍च स्‍थान से अपना हाथ बढ़ाया, और मुझे थाम लिया; उसने मुझे गहरे जल से ऊपर खींच लिया। उसने मेरे शक्‍तिवान शत्रु से मुझसे बैर करने वालों से मुझे मुक्‍त किया। वे संकट-काल में मुझ पर चढ़ आए, पर प्रभु मेरा सहारा था। प्रभु ने मुझे खुले स्‍थान में पहुँचाया; उसने मुझे मुक्‍त किया, क्‍योंकि वह मुझसे प्रसन्न था।