धिक्कार है मुझ पर, जो मैं मेशेख देश में जा निवास करूं, जो मैं केदार देश के मण्डपों में जा रहूं!
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पांच दिन
बिना किसी बदलाव के जीवन ठहर जाता है और ख़ुद को प्रदूषित कर देता है। यह, व्यक्ति को आशाहीनता , मायूसी और पराजय की भावना के साथ छोड़ देता है। किसी भी आत्मा के लिए सबसे अच्छी आशा यह हैं की वे अपनी भीतरी निराशा और हताशा को पहचाने और उस से मुड़ने और परिवर्तित होने के लिए इश्वरीय सहायता प्राप्त करें।
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