प्रेरितों 21:1-17

प्रेरितों 21:1-17 HSS

जब हमने उनसे विदा लेकर जलमार्ग से यात्रा प्रारंभ की और हमने सीधे कॉस द्वीप का मार्ग लिया, फिर अगले दिन रोदॉस द्वीप का और वहां से पतारा द्वीप का. वहां फ़ॉयनिके नगर जाने के लिए एक जलयान तैयार था. हम उस पर सवार हो गए और हमने यात्रा प्रारंभ की. हमें बायीं ओर सैप्रस द्वीप दिखाई दिया. हम उसे छोड़कर सीरिया प्रदेश की ओर बढ़ते गए और सोर नगर जा पहुंचे क्योंकि वहां जलयान से सामान उतारा जाना था. वहां हमने शिष्यों का पता लगाया और उनके साथ सात दिन रहे. पवित्र आत्मा के माध्यम से वे बार-बार पौलॉस से येरूशलेम न जाने की विनती करते रहे. जब वहां से हमारे जाने का समय आया, वे परिवार के साथ हमें विदा करने नगर सीमा तक आए. समुद्रतट पर हमने घुटने टेककर प्रार्थना की और एक दूसरे से विदा ली. हम जलयान में सवार हो गए और वे सब अपने-अपने घर लौट गए. सोर नगर से शुरू की गई यात्रा पूरी कर हम प्‍तुलेमाईस नगर पहुंचे. स्थानीय भाई बहिनों से भेंट कर हम एक दिन वहीं रुक गए. अगले दिन यात्रा करते हुए हम कयसरिया आए और प्रचारक फ़िलिप्पॉस के घर गए, जो उन सात दीकनों में से एक थे. हम उन्हीं के घर में ठहरे. उनकी चार कुंवारी पुत्रियां थी, जो भविष्यवाणी किया करती थी. जब हमें, वहां रहते हुए कुछ दिन हो गए, वहां हागाबुस नामक एक भविष्यवक्ता आए, जो यहूदिया प्रदेश के थे. वह जब हमसे भेंट करने आए, उन्होंने पौलॉस का पटुका लेकर उससे अपने हाथ-पैर बांधते हुए कहा, “पवित्र आत्मा का कहना है, ‘येरूशलेम के यहूदी अगुए उस व्यक्ति को इसी रीति से बांधेंगे जिसका यह पटुका है और उसे अन्यजातियों के हाथों में सौंप देंगे.’ ” यह सुनकर स्थानीय शिष्यों और हमने भी पौलॉस से येरूशलेम न जाने की विनती की. पौलॉस ने उत्तर दिया, “इस प्रकार रो-रोकर मेरा हृदय क्यों तोड़ रहे हो? मैं येरूशलेम में न केवल बंदी बनाए जाने परंतु प्रभु येशु मसीह के नाम के लिए मार डाले जाने के लिए भी तैयार हूं.” इसलिये जब उन्हें मनाना असंभव हो गया, हम शांत हो गए. हम केवल यही कह पाए, “प्रभु ही की इच्छा पूरी हो!” कुछ दिन बाद हमने तैयारी की और येरूशलेम के लिए चल दिए. कयसरिया नगर के कुछ शिष्य भी हमारे साथ हो लिए. ठहरने के लिए हमें सैप्रसवासी म्नेसॉन के घर ले जाया गया. वह सबसे पहले के शिष्यों में से एक था. येरूशलेम पहुंचने पर भाई बहिनों ने बड़े आनंदपूर्वक हमारा स्वागत किया.