मसीह एक धर्मात्मा (परमेश्वर-मनुष्य): कुंवारी से जन्म ले ने पर पड़ने वाला प्रभाव નમૂનો

कल हम ने सीखा था कि कुंवारी से जन्म के कारण हमें मसीह के देहधारण सम्बन्धी कई शिक्षाओं से बचने में सहायता मिलती है।
परमेश्वर पूर्णतः और सच्चाई से इन्सान बने...
- केवल दिव्य हुए बिना। कई लोग यीशु को शतप्रतिशत दिव्य,या उसकी आत्मा में दिव्य मानते हैं। वे उसके मानवीय देह को धारण करने की बात को तो स्वीकार करते हैं (वरन उसके मानवीय शरीर को भी) लेकिन वे यह नहीं मानते कि उसमें सम्पूर्ण तौर पर मानवीय स्वभाव था। कुंवारी से जन्म लेना यहां पर अपोलिनेरिजम,का सामना करता है,तो परमेश्वर पुत्र द्वारा पूर्णतः मानवीय रूप धारण करने की बात से इनकार करते हैं।
- मृत्यु से बचने के लिए अपनी ईश्वरीयता का उपयोग किये बिना। यीशु मृत्यु से होकर इसीलिए गुज़र सका क्योंकि वह हर दृष्टिकोण से मनुष्य था। यीशु ने कहते हैं कि वह चाहें तो स्वर्गदूतों अपनी सुरक्षा के लिए बुला सकते हैं,लेकिन उसने बचने के लिए उस तरीके का इस्तेमाल नहीं किया। सच में एक मनुष्य के रूप में,पिता के उद्देश्य को पूरा करने के लिए,उसने अपनी मृत्यु में सारे मानवीय अत्याचारों को सहा। यीशु की मृत्यु-जो हमारे उद्धार को प्राप्त करने के लिए आवश्यकता थी-केवल कुंवारी से जन्म लेने के कारण सम्भव हो पायी।
- पूर्व-विद्यमान होने को जब्त की हुई वस्तु समझे बिना। कुछ शास्त्र सम्बन्धी और भावनात्मक कारणों के कारण,कुछ विद्वान त्रीएकता के द्वितीय व्यक्ति को फिलिस्तीन अर्थात जन्मे यीशु से अलग रखने का प्रयास करते हैं। कुंवारी से जन्म लेना उस व्यक्ति की नियमितता और उसके सम्बन्ध को संरक्षित करता है। बाइबल कहती है, “जो आत्मा मान लेती है कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है,वह परमेश्वर की ओर से है”(1यूहन्ना 4:2)। पहले से विद्यमान यीशु इस संसार में कुंवारी से जन्म लेकर पैदा हुए।
परमेश्वर वास्तव में कैसे मनुष्य बन सकते हैं? केवल कुंवारी से जन्म लेकर।
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छह दिन डॉ.रमेश रिचर्ड के साथ बिताएं, जो RREACH (वैश्विक स्तर पर सुसमाचार सुनाने वाली सेवकाई) के अध्यक्ष और डालास थियोलोजिकल सेमिनरी के आचार्य हैं, जो हमें मसीह की ईश्वरीयता और उसकी मानवता से सम्बन्धित समयोचित प्रकाशन प्रदान करेगें। अपने हृदय को कुवांरी से जन्म लेने तथा मसीही जीवन में इसके आशय के महत्व पर चिन्तन करते हुए क्रिमसस के पर्व को मनाने के लिए तैयार करें।
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