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सच्ची आत्मिकता

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परमेश्वर का उत्तम प्राप्त करना

परमेश्वर हमें अपना उत्तम देना चाहता है। कोई आसान या कोई विलासप्रिय चीज़ नहीं परन्तु वह अपनी ओर से उत्तम प्रदान करना चाहता है- जैसा कि वह उसको परिभाषित करता है। याद रखें, उसकी इच्छा, “भली, भावती और सिद्ध है।”

लेकिन बहुत से मसीही परमेश्वर की उत्तम आशीषों का अनुभव नहीं कर पाते। क्यों?

इसका एक कारण झूठ हैः हमारे जीवन के अभिप्राय को लेकर झूठ और हमारे लिए परमेश्वर की योजना के बारे में झूठ। झूठ हमें संसार के सदृश बना देता है। जीवन को उस तरीके से देखना जैसा कि संसार देखता है हमें परमेश्वर का जानने और उसकी आज्ञाओं को समझने में बाधा खड़ी करता है। हम उन अद्भुत चीज़ों से चूक जाते हैं जो परमेश्वर हमें देना चाहता है। 

यह झूठ आता कहां से है?

हमारा एक आत्मिक शत्रु है जो हमारे जीवन में परमेश्वर की योजना के विरूद्ध है। 

हम एक पतित संसार में रहते हैं जो परमेश्वर की योजना को बिगाड़ने का प्रयास करता है। 

हम सभी का बीता समय पाप से भरा हुआ रहा है। 

ये तीनों शक्तियां हमें हमारे पुराने तौर तरीकों में फंसा कर रखना चाहते हैं। इसलिए पॉलूस हम से कहता है कि हम इस संसार के तौर तरीकों के समान न बनें वरन हम मन के बदलने के साथ साथ बदलते चले जाएं। 

हमेंः 

·  सांसारिक बातों को हमारे विचारों में घर करने से।

·  और उसकी बजाय परमेश्वर की बातों से अपने मनों को भरना होगा।

हमें एक ऐसे आत्मिक आहार की आवश्यकता है जो पूरी तरह से हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम के भरोसे में लिप्त हो। केवल तभी हम उसकी भली, भावती और सिद्ध इच्छा और सच्ची आत्मिकता का अनुभव कर सकते हैं।

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सच्ची आत्मिकता

एक सच्चे मसीही का जीवन कैसा होता है?रोमियों 12, बाइबल का यह खण्ड, हमें एक तस्वीर प्रदान करता है। इस पठन योजना में आप, सच्ची आत्मिकता के अन्तर्गत पढ़ेंगे कि परमेश्वर हमारे जीवन के हर एक हिस्से को बदलते हैं- अर्थात हमारे विचारों, नज़रिये, दूसरों के साथ हमारे रिश्ते, बुराई के साथ हमारी लड़ाई को। परमेश्वर की उत्तम बातों को ग्रहण करके आज ही गहराई से संसार को प्रभावित करें।

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