2 कुरिन्थियों 3
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नये विधान की धर्म-सेवा
1क्या हम फिर अपनी प्रशंसा करने लगे? क्या कुछ अन्य लोगों की तरह यह हमारे लिए आवश्यक है कि हम आप को सिफ़ारिशी पत्र दिखायें अथवा आप से मांगें?#2 कुर 5:12; रोम 16:1; प्रे 18:27 2आप लोग तो हैं-हमारा पत्र, जो हमारे हृदय पर अंकित रहता है और जिसे सब लोग देख और पढ़ सकते हैं।#1 कुर 9:2 3आप लोग निश्चय ही मसीह का वह पत्र हैं, जिसे उन्होंने हमारी सेवा द्वारा लिखवाया है। वह पत्र स्याही से नहीं, बल्कि जीवन्त परमेश्वर के आत्मा से, पत्थर की पट्टियों पर नहीं, बल्कि मानव हृदय की पट्टियों पर लिखा हुआ है।#नि 24:12; 31:18; 34:1; नीति 3:3; 7:3; यहेज 11:19; 36:26; यिर 31:23; रोम 15:16
4हम यह दावा इसलिए कर सकते हैं कि हमें मसीह के कारण परमेश्वर पर भरोसा है। 5इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारी कोई अपनी योग्यता है। हम अपने को किसी बात का श्रेय नहीं दे सकते। हमारी योग्यता का स्रोत परमेश्वर है।#2 कुर 2:16 6उसने हमें एक नये विधान के सेवक होने के योग्य बनाया है और यह विधान अक्षरों में लिखी हुई व्यवस्था का नहीं, बल्कि आत्मा का है; क्योंकि अक्षर तो मृत्यु-जनक है, किन्तु आत्मा जीवनदायक है।#यिर 31:31; 2 कुर 11:25; रोम 7:6; यो 6:63 7यदि मृत्यु-जनक व्यवस्था का सेवाकार्य, जो पत्थरों पर अक्षर अंकित करने में संपन्न हुआ, इतना तेजस्वी था कि इस्राएली लोग मूसा के मुख के तेज के कारण-जो क्रमश: क्षीण हो रहा था-उनके मुख पर दृष्टि स्थिर नहीं कर सके,#नि 34:30 8तो फिर पवित्र आत्मा का सेवाकार्य अधिक तेजोमय क्यों न होगा?#गल 3:2,5 9यदि दोषी ठहराने की प्रक्रिया में सेवाकार्य इतना तेजस्वी था, तो दोषमुक्त करने की प्रक्रिया में सेवाकार्य कहीं अधिक तेजोमय होगा।#व्य 27:26; रोम 1:17; 3:21 10इस वर्तमान परमश्रेष्ठ तेज के सामने वह पूर्ववर्त्ती तेज अब निस्तेज हो गया है।#नि 34:29 11यदि क्षीण होने वाला इतना तेजस्वी था तो सदा स्थिर रहने वाला कितना अधिक तेजोमय होगा!
12अपनी इस आशा के कारण हम बड़ी निर्भीकता से बोलते हैं। 13हम मूसा के सदृश नहीं हैं। वह अपने मुख पर परदा डाले रहते थे, जिससे इस्राएली उनके क्रमश: क्षीण होने वाले तेज की अंतिम झलक भी न देख पायें।#नि 34:33,35 14इस्राएलियों की बुद्धि कुण्ठित हो गयी थी और आज भी, जब प्राचीन विधान पढ़ कर सुनाया जाता है, तो वही परदा पड़ा रहता है। वह पड़ा रहता है, क्योंकि मसीह ही उसे हटा सकते हैं#रोम 11:25।#3:14 शब्दश:, “मसीह में ही वह पूर्णत: क्षीण हो जाता है”। 15जब मूसा का ग्रन्थ पढ़ कर सुनाया जाता है, तो उनके मन पर आज भी वह परदा पड़ा रहता है। 16किन्तु, जैसा मूसा के संबंध में कहा गया है : “जब वह प्रभु की ओर अभिमुख हो जाते हैं, तो परदा हटा दिया जाता है”;#रोम 11:23,26; नि 34:34 17क्योंकि प्रभु तो आत्मा है#3:17 अथवा, “धर्मग्रंथ के इस कथन में ‘प्रभु’ का तात्पर्य आत्मा ही है”, अथवा, “आत्मा तो प्रभु है”। और जहां प्रभु का आत्मा है, वहां स्वतन्त्रता है।#रोम 8:2 18जहां तक हम-सब का प्रश्न है, हमारे मुख पर परदा नहीं है और हम-सब दर्पण की तरह प्रभु का तेज प्रतिबिम्बित करते हैं। इस प्रकार हम धीरे-धीरे प्रभु के तेजोमय प्रतिरूप में रूपान्तरित हो जाते हैं और वह रूपान्तरण प्रभु अर्थात् आत्मा#3:18 अथवा, “प्रभु के आत्मा”। का कार्य है।#नि 16:7; 24:17
Àwon tá yàn lọ́wọ́lọ́wọ́ báyìí:
2 कुरिन्थियों 3: HINCLBSI
Ìsàmì-sí
Pín
Daako
Ṣé o fẹ́ fi àwọn ohun pàtàkì pamọ́ sórí gbogbo àwọn ẹ̀rọ rẹ? Wọlé pẹ̀lú àkántì tuntun tàbí wọlé pẹ̀lú àkántì tí tẹ́lẹ̀
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
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