BibleProject | यीशु-आगमन पर चिंतन Sample

यीशु ने अपने चेलों को शिक्षा देते हुए कहा, “जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निंदा करें, और सताएं, तब आनंदित और मगन होना, क्यूंकि तुम्हारे लिए स्वर्ग में बड़ा फल है|” हम यीशु की शिक्षा में देखते हैं की सच्चा आनंद कठोर से कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है क्यूंकि वह परिस्थितियों पर निर्भर नहीं है| बल्कि वह तो परमेश्वर और उसकी उन प्रतिज्ञाओं पर आश्रित है जो उसके लोगों के अनंतकाल के भविष्य के लिए हैं|
पढ़ें: मत्ती ५:११-१२, प्रेरितों के काम १३:५०-५२, इब्रानियों १२:१-३
चिंतन करें: इन अंशों अनुसार, दर्दनाक और ख़तरनाक परिस्थितियों में भी किस प्रकार से आनंद को बनाए रखा जा सकता है
इब्रानियों १२:१-३ का पुनरावलोकन करने के लिए समय दीजिये| यीशु ने इसलिए महान दुःख सह लिया क्यूंकि वह उससे भी बड़े आनंद को देख सकता था जो उसके दुःख के आगे रखा हुआ था| इस अंश में, यीशु के चेलों को, अपनी आँखें उसपर टिकाये रखते हुए, कष्ट सहने के लिए बुलाया गया है; और फिर वह उनके सामने रखा हुआ, आनंद बन जाता है| आपके अनुसार व्यवहारिक रूप से, “यीशु की ओर ताकते रहें,” का क्या अर्थ है?
अपने चिंतन को, परमेश्वर के लिए ह्रदय से निकलने वाली एक प्रार्थना बनाइये|
बाइबिल में दिया गया आनंद, एक गंभीर निर्णय है जो यीशु के जीवन और प्रेम की सामर्थ पर विश्वास और आशा रखते हुए लिया जाता है|
About this Plan

बाइबिल प्रोजेक्ट ने व्यक्ति-विशेष, छोटे समूहों एवं परिवारों को प्रेरित करने के लिए यीशु-आगमन सम्बन्धी चिंतन की संरचना की है ताकि वे यीशु के आगमन या आने का उत्सव मना सकें| इस चार सप्ताह की योजना में शामिल हैं एनीमेटेड वीडियो, छोटे सारांश, और चिंतन-प्रश्न जो प्रतिभागियों की सहायता करते हैं ताकि वे आशा, शान्ति, आनंद और प्रेम जैसे विचारों का अध्ययन बाइबिल में दिए गए अर्थ अनुसार कर सकें|
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