ओह बहुंत सक्तिसाली हो जाही, पर अपन खुद के सक्ति ले नइं। ओह भयंकर बिनास करही अऊ जऊन कुछू घलो ओह करही, ओमा ओह सफल होही। ओह ओमन ला नास करही, जऊन मन सक्तिसाली, पबितर मनखे अंय। ओह बढ़े बर छल-परपंच करही, अऊ ओह अपनआप ला बहुंत बड़े समझही। जब ओमन सुरकछित महसूस करत होहीं, तभे ओह बहुंते जन ला नास कर दीही अऊ राजकुमारमन के राजकुमार के बिरूध ठाढ़ होही। तभो ले ओह नास करे जाही, पर कोनो मानव सक्ति के दुवारा नइं।