लूका 22
22
यीसु को खिलाफ म योजना
(मत्ती 26:1-5; मरकुस 14:1,2)
1अखमीरी रोटी को तिहार जे फसह कहलावा हैं नजीक हतो, 2अर मुखिया याजक अर सासतिरी या बात की ताक म हता कि ओ ख कसो मार ड़ाले, पर वी इंसान हुन से डरत रह।
यूहदा को विस्वास घात करनु
(मत्ती 26:14-16; मरकुस 14:10,11)
3तब सैतान यहूदा म समायो, जे इस्करियोती कहलाता अर बारा चेला हुन म गिनो जात हतो। 4ओ न जाय ख मुखिया याजक हुन अर पहरू हुन को सरदार हुन को संग बात चीत की कि ओको कि प्रकार ओके हात म पकड़वागो। 5वी आनन्दित भयो, अर ओ ख रूपये हुन देन का वादा दियो। 6ओ न मान लियो, अर अवसर (बखत) ढूँढ़न लगियो कि जब भीड़ हुन नी हो ते ओके हात पकड़वा देवा।
चेला हुन को संग फसह को तिहार को आखरी खाना
(मत्ती 26:17-25; मरकुस 14:12-21; यूहन्ना 13:21-30)
7तब अखमारी रोटी को तिहार को दिन आयो, जे म फसह को बलिदान चडानो (मेम्ना) आवस्यक हतो। 8यीसु न पतरस अर यूहन्ना का यू कह ख भेजो: “जाय ख हमारो खानो को लाने फसह तैयार कर?”
9उन्न ओसे पुछियो, “तू किते चाहत हैं कि हम इ ख तैयार करे?”
10ओ न ओसे कहयो, देख, नगर म प्रवेस करत ही एक अदमी पानी को मटका उठयो हुयो तुमका मिलेगो; जे घर म जाए तू ओके पिछु चलो जानू, 11अर उ घर को स्वामी कहनू; हे गुरू तोसे कहत हूँ कि उ पाहुनसाला किते हैं जेम मी अपनो चेला हुन को संग फसह खाऊँगो? 12उ तुम ख एक सजी-सजायो बड़ो अटारी दिखो देगो; उही तैयार करनु।
13उन्होना जाय ख जसो ओमा ओसे हतो, वसो ही पायो अर फसह तैयार कियो।
प्रभु-भोज
(मत्ती 26:26-30; मरकुस 14:22-26; 1 कुरिन्थियो 11:23-25)
14जब बखत आ पहुँचियो, ते वी प्रेरित हुन संग म खाना खान बठिया। 15अर ओ न ओसे कहयो, “मोखा बड़ो लालसा हती कि दुख भोगन से पहलो यू फसह तुम्हारो संग खाऊँ। 16काहेकि मी तोसे कहूँ हूँ कि जब तक उ परमेस्वर को राज्य म पूरो नी होए तब तक मी ओ ख कभी नी खाऊँगो।”
17तब ओ न कटोरा ले ख धन्यवाद कियो अर कहयो, “इ का ले अर आपस म बाँट ला 18काहेकि मी तोसे कहूँ हूँ कि जब तक परमेस्वर को राज्य नी आएँगो तब तक मी अंगूर को रस अब से कभी नी पीऊगो।”
19फिर ओ न रोटी लियो, अर धन्यवाद कर ख तोड़, अर ओको यू कहते हुयो दी, यू मोरी सरीर हैं: मोरो याद का लियो असो ही कियो करनु। 20इ ही रीति से ओ न खानो को बाद कटोरा भी यू कहत हुयो दियो, “यू कटोरा मोरो उ खून म जे तुमरो लियो बहायो जात हैं नयो वादा हैं।”
21पर देख, मोरो पकड़न वालो का हात मोरो संग मेज म पर हैं। 22काहेकि इंसान को पोरिया ते जसो ओके लाने ठहरायो गयो जात ही हैं, “पर धितकार उ इंसान पर जेके व्दारा उ पकड़वायो जावा हैं!”
23तब वी आपस म पूछताछ करन लगिया कि हम म से कोन हैं, जे यू काम करेगों।
सबसे महान कोन
24ओ म यू वाद-विवाद भी कि उ म से कोन बड़ो समझो जावा हैं। 25ओ न ओसे कहयो, “दुसरी जात हुन के राजा उन्न पर प्रभुता करा हैं। अर जे ओ पर अधिकार रखत हैं, वी उपकारक कहलाता हैं।” 26पर तुम असो नी होन; वरन् जे तू म बड़ो हैं, वी छोटो को समान अर जे प्रधान आय, उ सेवक को समान बनेगो। 27काहेकि बड़ो कोन हैं, उ नी जे खाना पर बैठा हैं? परन्तु मी तुम्हारो बीच म सेवक को जसो हूँ।
28तुम उ हो, जे मोरी परिक्छा हुन म लगातार मोरो संग रहेगो; 29अर जसो मोरो बाप न मोरो लियो एक राज्य ठहरायो हैं, वसो ही मी भी तुम्हारो लियो ठहरात हूँ, 30ताकि तुम मोरो राज्य म मोरी मेज पर खायो-पियो, वरन् सिंहासन हुन पर बठ ख इस्राएल को बारा जात हुन को न्याय करेगों।
पतरस को इंकार
(मत्ती 26:31-35; मरकुस 14:27-31; यूहन्ना 13:36-38)
31“समोन, हे समोन! देख, सैतान न तुम लोग हुन का माँग लियो हैं कि जसो गहूँ को समान फटके, तुम ख फटके, 32पर मी न तोरो लियो विनती की कि तोरो विस्वास जात नी रय्हे; अर जब तू फिरो, ते अपनो भई हुन का स्थिर करनु।”
33ओ न ओसे कहयो, “हे प्रभु, मी तोरो संग जेल म जानो, वरन् मरन का भी तैयार हूँ।”
34ओ न कहयो, “हे पतरस, मी तोसे कहूँ हूँ कि आज मुर्गा बाँग नी देगो जब तक तू तीन बार मोरो इंकार नी कर लेगो कि तू मोखा नी जानत।”
बटुवा, झोली, अर तलवार
35फिर ओ न ओसे कहयो, जब मी न तुमका बटुवा, अर झोली, अर जूता बिना भेजो हतो, ते का तू को किसी वस्तु घटी हुई हती? उन्होना कहयो, “किसी वस्तु की नी।”
36यीसु ओसे कहयो, “परन्तु अब जेके पास बटुवा हो उ ओ ख ले अर वसो ही झोली भी, अर जेके पास तलवार नी वी अपनो कपड़ा बेच ख एक मोल लेवा। 37काहेकि मी तोसे कहूँ हूँ, कि जे लिखो हैं: ‘उ पापी हुन का संग गिनो गयो,’ ओखा मोखा म पूरो होवन ओखा मोखा म पूरो होवन अवस्य हैं; काहेकि मोरो विसय म लिखो बातो पूरो होन पर हैं।”
38तब उन्होना कहयो, “हे प्रभु, देख यू वा दो तलवार उन आय।”
ओ न ओसे कहयो, “बेजा हैं।”
जैतून को टेकड़ा पर यीसु की विनती
(मत्ती 26:36-46; मरकुस 14:32-42)
39“तब उ बाहर निकल ख अपनो रीति को अनुसार जैतून को टेकड़ा पर गयो अर चेला हुन ओके पिछु हो लियो। 40उ जगह पहुँच ख ओ न ओसे कहयो, विनती करो कि तू परीक्छा म नी पड़ो।”
41उ तुम ओसे अलग ढ़ेला फेकन को दूरी भर गयो, अर घुटना टेक ख बिनती करन लगिया, 42हे बाप, यदि तू चाहा ते इ कटोरा का मोरो नजीक से हटा दा, तोभी मोरी नी परन्तु तोरी ही मारजी पूरी होए। 43तब स्वर्ग से एक दूत ओको दिखाई दियो जे ओ ख सामर्थ्य देत हतो। 44उ बेजा (अत्यन्त) संकट म व्याकुल होय ख अर भी हार्दिक वेदना से प्रार्थना करन लगियो; अर ओखा पसीना माननू खून को बड़ो-बड़ो बूँद हुन का समान जमीन पर गिरत हतो।
45तब उ प्रार्थना से उठियो अर अपनो चेला हुन का नजीक आय ख उनका उदासी को मोरो सोते पायो। 46अर ओसे कहयो, “काहे सोत हो? उठ, प्रार्थना करो कि परीक्छा म नी पड़ो।”
यीसु ख धोखा से पकड़नू
(मत्ती 26:47-56; मरकुस 14:43-50; यूहन्ना 18:3-12)
47उ असो बोलत ही रह कि एक भीड़ आई, अर वी बारा हुन म से एक जेको नाम यहूदा हतो उनको आगु-आगु आत रह। वह उ यीसु को सामे आयो कि ओको चुम्मा ले। 48यीसु न ओसे कहयो, “अरे यहूदा का तू चुम्मा ले ख इंसान को पोरिया ख पकड़वा हैं।”
49ओखा संगी हुन न जब देखियो कि का होन वालो हैं, ते कहयो, “हे प्रभु, का हम तलवार चलाय।” 50अर उनमा से एक न बडो याजक को दास पर तलवार चला ख ओको दाहिनो कान काट दियो।
51ये पर यीसु न कहयो, “अब सब करो।” अर ओको कान छू ख ओ ख चोक्खो करियो।
52तब यीसु न मुखिया याजक हुन अर मन्दिर पहरू हुन का सरदार हुन अर सियाना हुन से, जे उ हुन पर चढ़ आयो हतो, कहयो, “का तुम मो ख ड़ाकू जान ख तलवार अर लाठी हुन हुयो निकल हो? 53जब मी मन्दिर म हर रोज तुम्हारो संग हतो, ते तू न मो पर हात नी ड़ालियो; पर हात नी ड़ालो; पर यू वा तुम्हारी बखत हैं, अर अंधकार को अधिकार हैं।”
पतरस का इंकार करनु
(मत्ती 26:57,58,69-75; मरकुस 14:53,54,66-72; यूहन्ना 18:12-18,25-27)
54फिर वी ओ ख पकड़ ख ले गया, अर मुख्य याजक को घर म लायो। पतरस दुर ही से ओके पिछु-पिछु चलत रहा हतो; 55अर जब वी आँगन म आग परचा ख इकठ्टे बैठिया, ते पतरस भी उनको बीच म बठ गयो। 56तब एक दासी ओ ख आगी को उजियाला म बैठो देख का अर ओकी तरफ देख ख कहन लगी, “यू भी तो ओके संग हतो।”
57पर ओ ना यू बोल ख मुंडो कर लियो कियो, अरे बाई (नारी), मी ओ ख नी जानु।
58थोड़ी देर बाद कोई अऊर न ओखा देख ख कहयो, “तू भी ते उन्ही म से हैं।” पतरस न कहयो, “हे अदमी मी नी हूँ।”
59कुछ कोई घंटा हुन का बाद एक अर अदमी विस्वास से कहन लगियो, “सच यू भी ते ओको संग हतो, काहेकि यू गलीली हैं।”
60पतरस न कहयो, “हे इंसान, मी नी जानत कि तू का कहत हैं!”
उ कह ही रय्हो हतो, कि तुरत मुर्गा न बाँग दियो।
61तब प्रभु न घूम ख पतरस का तरफ देखियो, अर पतरस का प्रभु की उ बात याद आयो जे बात ओ न कय्ही हती: “आज मुर्गा को बाँग देन से पहलो, तू तीन बार मोरो इंकार करेगों।” 62अर उ बाहर निकल ख फूट-फूट ख रोन लगियो।
यीसु का अपमान करनु
(मत्ती 26:67,68; मरकुस 14:65)
63जे इंसान यीसु का पकड़े हुयो हते, वी ओखा मजाक उड़ाए ख पीटन लगया; 64अर ओकी आँख हुन ढ़ाक ख ओसे पुछियो, “भविस्यवानी कर ख बात कि तो ख को न मारो!” 65अर उन्होना बेजा सी अर भी निन्दा की बात हुन ओखा विरोध म कय्ही।
महासभा को सामने यीसु
(मत्ती 26:59-66; मरकुस 14:55-64; यूहन्ना 18:19-24)
66जब दिन भयो ते लोग हुन अर सियाना हुन अर मुखिया याजक अर सासतिरी इकठ्टे भया, अर ओ ख अपनो महासभा म लाय ख पुछियो, 67यदि तू मसी हैं, ते हमसे कह दा! ओ न ओसे कहयो, “यदि मी तोसे कहूँ ते भरोसा नी करन ख; 68अर अदि पूछु, ते उत्तर नी देन का। 69परन्तु अब से इंसान को पोरिया सर्वसक्तिमान परमेस्वर की दाहिनो तरफ बैहिठ रहेगो।”
70इ पर सब न कहयो, ते का परमेस्वर को पोरिया हैं? ओ न ओसे कहयो, “तुम तुम ही कहत हो, काहेकि मी हूँ।” 71तब उन्होना कहयो, “अब हमका गवाई का आवस्यक हैं; काहेकि हम न तुम ही ओके मुँह से सुन लियो हैं।”
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The Mehra Bible ©The Word for the World International and Mehra Bhasha Samiti, Betul, (M.P.) 2025.
लूका 22
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यीसु को खिलाफ म योजना
(मत्ती 26:1-5; मरकुस 14:1,2)
1अखमीरी रोटी को तिहार जे फसह कहलावा हैं नजीक हतो, 2अर मुखिया याजक अर सासतिरी या बात की ताक म हता कि ओ ख कसो मार ड़ाले, पर वी इंसान हुन से डरत रह।
यूहदा को विस्वास घात करनु
(मत्ती 26:14-16; मरकुस 14:10,11)
3तब सैतान यहूदा म समायो, जे इस्करियोती कहलाता अर बारा चेला हुन म गिनो जात हतो। 4ओ न जाय ख मुखिया याजक हुन अर पहरू हुन को सरदार हुन को संग बात चीत की कि ओको कि प्रकार ओके हात म पकड़वागो। 5वी आनन्दित भयो, अर ओ ख रूपये हुन देन का वादा दियो। 6ओ न मान लियो, अर अवसर (बखत) ढूँढ़न लगियो कि जब भीड़ हुन नी हो ते ओके हात पकड़वा देवा।
चेला हुन को संग फसह को तिहार को आखरी खाना
(मत्ती 26:17-25; मरकुस 14:12-21; यूहन्ना 13:21-30)
7तब अखमारी रोटी को तिहार को दिन आयो, जे म फसह को बलिदान चडानो (मेम्ना) आवस्यक हतो। 8यीसु न पतरस अर यूहन्ना का यू कह ख भेजो: “जाय ख हमारो खानो को लाने फसह तैयार कर?”
9उन्न ओसे पुछियो, “तू किते चाहत हैं कि हम इ ख तैयार करे?”
10ओ न ओसे कहयो, देख, नगर म प्रवेस करत ही एक अदमी पानी को मटका उठयो हुयो तुमका मिलेगो; जे घर म जाए तू ओके पिछु चलो जानू, 11अर उ घर को स्वामी कहनू; हे गुरू तोसे कहत हूँ कि उ पाहुनसाला किते हैं जेम मी अपनो चेला हुन को संग फसह खाऊँगो? 12उ तुम ख एक सजी-सजायो बड़ो अटारी दिखो देगो; उही तैयार करनु।
13उन्होना जाय ख जसो ओमा ओसे हतो, वसो ही पायो अर फसह तैयार कियो।
प्रभु-भोज
(मत्ती 26:26-30; मरकुस 14:22-26; 1 कुरिन्थियो 11:23-25)
14जब बखत आ पहुँचियो, ते वी प्रेरित हुन संग म खाना खान बठिया। 15अर ओ न ओसे कहयो, “मोखा बड़ो लालसा हती कि दुख भोगन से पहलो यू फसह तुम्हारो संग खाऊँ। 16काहेकि मी तोसे कहूँ हूँ कि जब तक उ परमेस्वर को राज्य म पूरो नी होए तब तक मी ओ ख कभी नी खाऊँगो।”
17तब ओ न कटोरा ले ख धन्यवाद कियो अर कहयो, “इ का ले अर आपस म बाँट ला 18काहेकि मी तोसे कहूँ हूँ कि जब तक परमेस्वर को राज्य नी आएँगो तब तक मी अंगूर को रस अब से कभी नी पीऊगो।”
19फिर ओ न रोटी लियो, अर धन्यवाद कर ख तोड़, अर ओको यू कहते हुयो दी, यू मोरी सरीर हैं: मोरो याद का लियो असो ही कियो करनु। 20इ ही रीति से ओ न खानो को बाद कटोरा भी यू कहत हुयो दियो, “यू कटोरा मोरो उ खून म जे तुमरो लियो बहायो जात हैं नयो वादा हैं।”
21पर देख, मोरो पकड़न वालो का हात मोरो संग मेज म पर हैं। 22काहेकि इंसान को पोरिया ते जसो ओके लाने ठहरायो गयो जात ही हैं, “पर धितकार उ इंसान पर जेके व्दारा उ पकड़वायो जावा हैं!”
23तब वी आपस म पूछताछ करन लगिया कि हम म से कोन हैं, जे यू काम करेगों।
सबसे महान कोन
24ओ म यू वाद-विवाद भी कि उ म से कोन बड़ो समझो जावा हैं। 25ओ न ओसे कहयो, “दुसरी जात हुन के राजा उन्न पर प्रभुता करा हैं। अर जे ओ पर अधिकार रखत हैं, वी उपकारक कहलाता हैं।” 26पर तुम असो नी होन; वरन् जे तू म बड़ो हैं, वी छोटो को समान अर जे प्रधान आय, उ सेवक को समान बनेगो। 27काहेकि बड़ो कोन हैं, उ नी जे खाना पर बैठा हैं? परन्तु मी तुम्हारो बीच म सेवक को जसो हूँ।
28तुम उ हो, जे मोरी परिक्छा हुन म लगातार मोरो संग रहेगो; 29अर जसो मोरो बाप न मोरो लियो एक राज्य ठहरायो हैं, वसो ही मी भी तुम्हारो लियो ठहरात हूँ, 30ताकि तुम मोरो राज्य म मोरी मेज पर खायो-पियो, वरन् सिंहासन हुन पर बठ ख इस्राएल को बारा जात हुन को न्याय करेगों।
पतरस को इंकार
(मत्ती 26:31-35; मरकुस 14:27-31; यूहन्ना 13:36-38)
31“समोन, हे समोन! देख, सैतान न तुम लोग हुन का माँग लियो हैं कि जसो गहूँ को समान फटके, तुम ख फटके, 32पर मी न तोरो लियो विनती की कि तोरो विस्वास जात नी रय्हे; अर जब तू फिरो, ते अपनो भई हुन का स्थिर करनु।”
33ओ न ओसे कहयो, “हे प्रभु, मी तोरो संग जेल म जानो, वरन् मरन का भी तैयार हूँ।”
34ओ न कहयो, “हे पतरस, मी तोसे कहूँ हूँ कि आज मुर्गा बाँग नी देगो जब तक तू तीन बार मोरो इंकार नी कर लेगो कि तू मोखा नी जानत।”
बटुवा, झोली, अर तलवार
35फिर ओ न ओसे कहयो, जब मी न तुमका बटुवा, अर झोली, अर जूता बिना भेजो हतो, ते का तू को किसी वस्तु घटी हुई हती? उन्होना कहयो, “किसी वस्तु की नी।”
36यीसु ओसे कहयो, “परन्तु अब जेके पास बटुवा हो उ ओ ख ले अर वसो ही झोली भी, अर जेके पास तलवार नी वी अपनो कपड़ा बेच ख एक मोल लेवा। 37काहेकि मी तोसे कहूँ हूँ, कि जे लिखो हैं: ‘उ पापी हुन का संग गिनो गयो,’ ओखा मोखा म पूरो होवन ओखा मोखा म पूरो होवन अवस्य हैं; काहेकि मोरो विसय म लिखो बातो पूरो होन पर हैं।”
38तब उन्होना कहयो, “हे प्रभु, देख यू वा दो तलवार उन आय।”
ओ न ओसे कहयो, “बेजा हैं।”
जैतून को टेकड़ा पर यीसु की विनती
(मत्ती 26:36-46; मरकुस 14:32-42)
39“तब उ बाहर निकल ख अपनो रीति को अनुसार जैतून को टेकड़ा पर गयो अर चेला हुन ओके पिछु हो लियो। 40उ जगह पहुँच ख ओ न ओसे कहयो, विनती करो कि तू परीक्छा म नी पड़ो।”
41उ तुम ओसे अलग ढ़ेला फेकन को दूरी भर गयो, अर घुटना टेक ख बिनती करन लगिया, 42हे बाप, यदि तू चाहा ते इ कटोरा का मोरो नजीक से हटा दा, तोभी मोरी नी परन्तु तोरी ही मारजी पूरी होए। 43तब स्वर्ग से एक दूत ओको दिखाई दियो जे ओ ख सामर्थ्य देत हतो। 44उ बेजा (अत्यन्त) संकट म व्याकुल होय ख अर भी हार्दिक वेदना से प्रार्थना करन लगियो; अर ओखा पसीना माननू खून को बड़ो-बड़ो बूँद हुन का समान जमीन पर गिरत हतो।
45तब उ प्रार्थना से उठियो अर अपनो चेला हुन का नजीक आय ख उनका उदासी को मोरो सोते पायो। 46अर ओसे कहयो, “काहे सोत हो? उठ, प्रार्थना करो कि परीक्छा म नी पड़ो।”
यीसु ख धोखा से पकड़नू
(मत्ती 26:47-56; मरकुस 14:43-50; यूहन्ना 18:3-12)
47उ असो बोलत ही रह कि एक भीड़ आई, अर वी बारा हुन म से एक जेको नाम यहूदा हतो उनको आगु-आगु आत रह। वह उ यीसु को सामे आयो कि ओको चुम्मा ले। 48यीसु न ओसे कहयो, “अरे यहूदा का तू चुम्मा ले ख इंसान को पोरिया ख पकड़वा हैं।”
49ओखा संगी हुन न जब देखियो कि का होन वालो हैं, ते कहयो, “हे प्रभु, का हम तलवार चलाय।” 50अर उनमा से एक न बडो याजक को दास पर तलवार चला ख ओको दाहिनो कान काट दियो।
51ये पर यीसु न कहयो, “अब सब करो।” अर ओको कान छू ख ओ ख चोक्खो करियो।
52तब यीसु न मुखिया याजक हुन अर मन्दिर पहरू हुन का सरदार हुन अर सियाना हुन से, जे उ हुन पर चढ़ आयो हतो, कहयो, “का तुम मो ख ड़ाकू जान ख तलवार अर लाठी हुन हुयो निकल हो? 53जब मी मन्दिर म हर रोज तुम्हारो संग हतो, ते तू न मो पर हात नी ड़ालियो; पर हात नी ड़ालो; पर यू वा तुम्हारी बखत हैं, अर अंधकार को अधिकार हैं।”
पतरस का इंकार करनु
(मत्ती 26:57,58,69-75; मरकुस 14:53,54,66-72; यूहन्ना 18:12-18,25-27)
54फिर वी ओ ख पकड़ ख ले गया, अर मुख्य याजक को घर म लायो। पतरस दुर ही से ओके पिछु-पिछु चलत रहा हतो; 55अर जब वी आँगन म आग परचा ख इकठ्टे बैठिया, ते पतरस भी उनको बीच म बठ गयो। 56तब एक दासी ओ ख आगी को उजियाला म बैठो देख का अर ओकी तरफ देख ख कहन लगी, “यू भी तो ओके संग हतो।”
57पर ओ ना यू बोल ख मुंडो कर लियो कियो, अरे बाई (नारी), मी ओ ख नी जानु।
58थोड़ी देर बाद कोई अऊर न ओखा देख ख कहयो, “तू भी ते उन्ही म से हैं।” पतरस न कहयो, “हे अदमी मी नी हूँ।”
59कुछ कोई घंटा हुन का बाद एक अर अदमी विस्वास से कहन लगियो, “सच यू भी ते ओको संग हतो, काहेकि यू गलीली हैं।”
60पतरस न कहयो, “हे इंसान, मी नी जानत कि तू का कहत हैं!”
उ कह ही रय्हो हतो, कि तुरत मुर्गा न बाँग दियो।
61तब प्रभु न घूम ख पतरस का तरफ देखियो, अर पतरस का प्रभु की उ बात याद आयो जे बात ओ न कय्ही हती: “आज मुर्गा को बाँग देन से पहलो, तू तीन बार मोरो इंकार करेगों।” 62अर उ बाहर निकल ख फूट-फूट ख रोन लगियो।
यीसु का अपमान करनु
(मत्ती 26:67,68; मरकुस 14:65)
63जे इंसान यीसु का पकड़े हुयो हते, वी ओखा मजाक उड़ाए ख पीटन लगया; 64अर ओकी आँख हुन ढ़ाक ख ओसे पुछियो, “भविस्यवानी कर ख बात कि तो ख को न मारो!” 65अर उन्होना बेजा सी अर भी निन्दा की बात हुन ओखा विरोध म कय्ही।
महासभा को सामने यीसु
(मत्ती 26:59-66; मरकुस 14:55-64; यूहन्ना 18:19-24)
66जब दिन भयो ते लोग हुन अर सियाना हुन अर मुखिया याजक अर सासतिरी इकठ्टे भया, अर ओ ख अपनो महासभा म लाय ख पुछियो, 67यदि तू मसी हैं, ते हमसे कह दा! ओ न ओसे कहयो, “यदि मी तोसे कहूँ ते भरोसा नी करन ख; 68अर अदि पूछु, ते उत्तर नी देन का। 69परन्तु अब से इंसान को पोरिया सर्वसक्तिमान परमेस्वर की दाहिनो तरफ बैहिठ रहेगो।”
70इ पर सब न कहयो, ते का परमेस्वर को पोरिया हैं? ओ न ओसे कहयो, “तुम तुम ही कहत हो, काहेकि मी हूँ।” 71तब उन्होना कहयो, “अब हमका गवाई का आवस्यक हैं; काहेकि हम न तुम ही ओके मुँह से सुन लियो हैं।”
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