फिलिप्पियों 1:20-21, 23-24
फिलिप्पियों 1:20-21 HINCLBSI
मेरी हार्दिक अभिलाषा और आशा यह है कि मुझे किसी बात पर लज्जित नहीं होना पड़े, वरन् मैं पूर्ण निर्भीकता से बोलूँ, जिससे सदा की भांति अब भी-चाहे मैं जीवित रहूँ या मर जाऊं-मसीह मेरी देह द्वारा महिमान्वित हों। मेरे लिए तो जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है!
फिलिप्पियों 1:23-24 HINCLBSI
मैं दोनों ओर खिंचा हुआ हूँ। मैं तो चल देना और मसीह के साथ रहना चाहता हूं। यह निश्चय ही सर्वोत्तम है; किन्तु शरीर में मेरा विद्यमान रहना आप लोगों के लिए अधिक हितकर है।



