मत्ती परिचय
परिचय
मत्ती रचित सुसमाचार यो ऊ नयो नियम की चार किताबों म सी एक आय, जो यीशु मसीह को जीवन ख बतावय हय, या चार किताबों म सी यो एक सुसमाचार कहलायो गयो हय, येको मतलब हय, कि इन चारों म हर एक किताब सुसमाचार आय। यीशु को स्वर्ग म जान को बाद हि किताबे मत्ती, मरकुस, लूका अऊर यूहन्ना न लिख्यो हय। मत्ती रचित सुसमाचार कब लिख्यो गयो येकी जानकारी विद्वान लोगों ख नहाय। फिर भी हम असो कह्य सकजे हय कि यीशु को जनम को करीब ६० साल को बाद या किताब लिखी गयी हय, योच तरह कित लिखी गयी हय यो मालूम नहाय फिर भी बहुतों को माननो हय कि या किताब पलिस्तिन म यां यरूशलेम नगर म लिखी गयी होना।
या किताब को लेखक मत्ती आय जो एक यीशु को चेला होन को पहिले एक कर लेनवालो होतो ओख लेवी नाम सी भी पहिचान्यो जात होतो, मत्ती बारा प्रेरितों म सी एक होतो अऊर ओन यहूदी लोगों लायी लिख्यो होतो, यो वजह हम देखजे हय कि या किताब म ६० सी भी ज्यादा सन्दर्भ पुरानो नियम को हय, जेको बारे म भविष्यवानी भयी, ऊ मुक्तिदाता मसीह यीशुच आय, यो ऊ बतानो चाहत होतो, मत्ती न परमेश्वर को राज्य को बारे म भी बहुत कुछ लिख्यो, यहूदियों कि या आशा होती कि मसीह राजनैतिक राज्य को राजा बनेंन। मत्ती यो बिचार ख आव्हान दे क परमेश्वर को आत्मिक राज्य को वर्नन करय हय।
यो मत्ती रचित सुसमाचार या एक अच्छी किताब आय, जेकोसी एक नयो नियम की सुरूवात की, या किताब पुरानो नियम को तरफ बार बार हमरो ध्यान आकर्षित करय हय, या किताब पुरानो अऊर नयो नियम इन दोयी ख जोड़ देवय हय, विद्वानों ख असो सुझाव देवय हय कि या किताब म मूसा न लिख्यो हुयो, पंचग्रंथ, “जो पुरानो नियम की पाच किताबे आय, उन्को नमुना को अनुकरन करय हय, यीशु न जो पहाड़ी पर उपदेश दियो,” अध्याय ५–७ तक परमेश्वर न मूसा ख जो नियम शास्त्र दियो हय, येकी तुलना हम ओको सी कर सकजे हय। व्यवस्थाविवरन १९:३–२३:२५
रूप-रेखा
१. यीशु को जनम सी अऊर ओकी सेवा की सुरूवात सी मत्ती अपनो सुसमाचार की सुरूवात करय हय। १–४
२. येको बाद म मत्ती यीशु की सेवा को बारे म जो बहुत बातों की शिक्षा दियो हय, ओको बारे म बतावय हय। ५–२५
३. मत्ती रचित सुसमाचार जो आखरी भाग यो यीशु की सेवा को काम ख दिखावय हय जेको म ऊची पहाड़ी मतलब ओको मरन अऊर पुनरुत्थान ख दिखावय हय। २६–२८
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The Lodhi Bible © The Word for the World International and Lodhi Translation Samithi, Gondia, Maharashtra 2025
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मत्ती रचित सुसमाचार यो ऊ नयो नियम की चार किताबों म सी एक आय, जो यीशु मसीह को जीवन ख बतावय हय, या चार किताबों म सी यो एक सुसमाचार कहलायो गयो हय, येको मतलब हय, कि इन चारों म हर एक किताब सुसमाचार आय। यीशु को स्वर्ग म जान को बाद हि किताबे मत्ती, मरकुस, लूका अऊर यूहन्ना न लिख्यो हय। मत्ती रचित सुसमाचार कब लिख्यो गयो येकी जानकारी विद्वान लोगों ख नहाय। फिर भी हम असो कह्य सकजे हय कि यीशु को जनम को करीब ६० साल को बाद या किताब लिखी गयी हय, योच तरह कित लिखी गयी हय यो मालूम नहाय फिर भी बहुतों को माननो हय कि या किताब पलिस्तिन म यां यरूशलेम नगर म लिखी गयी होना।
या किताब को लेखक मत्ती आय जो एक यीशु को चेला होन को पहिले एक कर लेनवालो होतो ओख लेवी नाम सी भी पहिचान्यो जात होतो, मत्ती बारा प्रेरितों म सी एक होतो अऊर ओन यहूदी लोगों लायी लिख्यो होतो, यो वजह हम देखजे हय कि या किताब म ६० सी भी ज्यादा सन्दर्भ पुरानो नियम को हय, जेको बारे म भविष्यवानी भयी, ऊ मुक्तिदाता मसीह यीशुच आय, यो ऊ बतानो चाहत होतो, मत्ती न परमेश्वर को राज्य को बारे म भी बहुत कुछ लिख्यो, यहूदियों कि या आशा होती कि मसीह राजनैतिक राज्य को राजा बनेंन। मत्ती यो बिचार ख आव्हान दे क परमेश्वर को आत्मिक राज्य को वर्नन करय हय।
यो मत्ती रचित सुसमाचार या एक अच्छी किताब आय, जेकोसी एक नयो नियम की सुरूवात की, या किताब पुरानो नियम को तरफ बार बार हमरो ध्यान आकर्षित करय हय, या किताब पुरानो अऊर नयो नियम इन दोयी ख जोड़ देवय हय, विद्वानों ख असो सुझाव देवय हय कि या किताब म मूसा न लिख्यो हुयो, पंचग्रंथ, “जो पुरानो नियम की पाच किताबे आय, उन्को नमुना को अनुकरन करय हय, यीशु न जो पहाड़ी पर उपदेश दियो,” अध्याय ५–७ तक परमेश्वर न मूसा ख जो नियम शास्त्र दियो हय, येकी तुलना हम ओको सी कर सकजे हय। व्यवस्थाविवरन १९:३–२३:२५
रूप-रेखा
१. यीशु को जनम सी अऊर ओकी सेवा की सुरूवात सी मत्ती अपनो सुसमाचार की सुरूवात करय हय। १–४
२. येको बाद म मत्ती यीशु की सेवा को बारे म जो बहुत बातों की शिक्षा दियो हय, ओको बारे म बतावय हय। ५–२५
३. मत्ती रचित सुसमाचार जो आखरी भाग यो यीशु की सेवा को काम ख दिखावय हय जेको म ऊची पहाड़ी मतलब ओको मरन अऊर पुनरुत्थान ख दिखावय हय। २६–२८
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