ज़करियाह 1
1
तौबा करो!
1फ़ारस के बादशाह दारा की हुकूमत के दूसरे साल और आठवें महीने #अक्तूबर ता नवंबर। में रब का कलाम नबी ज़करियाह बिन बरकियाह बिन इद्दू पर नाज़िल हुआ,
2-3“लोगों से कह कि रब तुम्हारे बापदादा से निहायत ही नाराज़ था। अब रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि मेरे पास वापस आओ तो मैं भी तुम्हारे पास वापस आऊँगा। 4अपने बापदादा की मानिंद न हो जिन्होंने न मेरी सुनी, न मेरी तरफ़ तवज्जुह दी, गो मैंने उस वक़्त के नबियों की मारिफ़त उन्हें आगाह किया था कि अपनी बुरी राहों और शरीर हरकतों से बाज़ आओ। 5अब तुम्हारे बापदादा कहाँ हैं? और क्या नबी अबद तक ज़िंदा रहते हैं? दोनों बहुत देर हुई वफ़ात पा चुके हैं। #‘दोनों . . . चुके हैं’ इज़ाफ़ा है ताकि मतलब साफ़ हो। 6लेकिन तुम्हारे बापदादा के बारे में जितनी भी बातें और फ़ैसले मैंने अपने ख़ादिमों यानी नबियों की मारिफ़त फ़रमाए वह सब पूरे हुए। तब उन्होंने तौबा करके इक़रार किया, ‘रब्बुल-अफ़वाज ने हमारी बुरी राहों और हरकतों के सबब से वह कुछ किया है जो उसने करने को कहा था’।”
ज़करियाह रोया देखता है
7तीन माह के बाद रब ने नबी ज़करियाह बिन बरकियाह बिन इद्दू पर एक और कलाम नाज़िल किया। सबात यानी 11वें महीने का 24वाँ दिन #15 फ़रवरी। था।
पहली रोया : घुड़सवार
8उस रात मैंने रोया में एक आदमी को सुर्ख़ रंग के घोड़े पर सवार देखा। वह घाटी के दरमियान उगनेवाली मेहँदी की झाड़ियों के बीच में रुका हुआ था। उसके पीछे सुर्ख़, भूरे और सफ़ेद रंग के घोड़े खड़े थे। उन पर भी आदमी बैठे थे। #‘उन . . . बैठे थे’ इज़ाफ़ा है ताकि मतलब साफ़ हो। 9जो फ़रिश्ता मुझसे बात कर रहा था उससे मैंने पूछा, “मेरे आक़ा, इन घुड़सवारों से क्या मुराद है?” उसने जवाब दिया, “मैं तुझे उनका मतलब दिखाता हूँ।” 10तब मेहँदी की झाड़ियों में रुके हुए आदमी ने जवाब दिया, “यह वह हैं जिन्हें रब ने पूरी दुनिया की गश्त करने के लिए भेजा है।” 11अब दीगर घुड़सवार रब के उस फ़रिश्ते के पास आए जो मेहँदी की झाड़ियों के दरमियान रुका हुआ था। उन्होंने इत्तला दी, “हमने दुनिया की गश्त लगाई तो मालूम हुआ कि पूरी दुनिया में अमनो-अमान है।” 12तब रब का फ़रिश्ता बोला, “ऐ रब्बुल-अफ़वाज, अब तू 70 सालों से यरूशलम और यहूदाह की आबादियों से नाराज़ रहा है। तू कब तक उन पर रहम न करेगा?”
13जवाब में रब ने मेरे साथ गुफ़्तगू करनेवाले फ़रिश्ते से नरम और तसल्ली देनेवाली बातें कीं। 14फ़रिश्ता दुबारा मुझसे मुख़ातिब हुआ, “एलान कर कि रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘मैं बड़ी ग़ैरत से यरूशलम और कोहे-सिय्यून के लिए लड़ूँगा। 15मैं उन दीगर अक़वाम से निहायत नाराज़ हूँ जो इस वक़्त अपने आपको महफ़ूज़ समझती हैं। बेशक मैं अपनी क़ौम से कुछ नाराज़ था, लेकिन इन दीगर क़ौमों ने उसे हद से ज़्यादा तबाह कर दिया है। यह कभी भी मेरा मक़सद नहीं था।’ 16रब फ़रमाता है, ‘अब मैं दुबारा यरूशलम की तरफ़ मायल होकर उस पर रहम करूँगा। मेरा घर नए सिरे से उसमें तामीर हो जाएगा बल्कि पूरे शहर की पैमाइश की जाएगी ताकि उसे दुबारा तामीर किया जाए।’ यह रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।
17मज़ीद एलान कर कि रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘मेरे शहरों में दुबारा कसरत का माल पाया जाएगा। रब दुबारा कोहे-सिय्यून को तसल्ली देगा, दुबारा यरूशलम को चुन लेगा’।”
दूसरी रोया : सींग और कारीगर
18मैंने अपनी निगाह उठाई तो क्या देखता हूँ कि चार सींग मेरे सामने हैं। 19जो फ़रिश्ता मुझसे बात कर रहा था उससे मैंने पूछा, “इनका क्या मतलब है?” उसने जवाब दिया, “यह वह सींग हैं जिन्होंने यहूदाह और इसराईल को यरूशलम समेत मुंतशिर कर दिया था।”
20फिर रब ने मुझे चार कारीगर दिखाए। 21मैंने सवाल किया, “यह क्या करने आ रहे हैं?” उसने जवाब दिया, “मज़कूरा सींगों ने यहूदाह को इतने ज़ोर से मुंतशिर कर दिया कि आख़िरकार एक भी अपना सर नहीं उठा सका। लेकिन अब यह कारीगर उनमें दहशत फैलाने आए हैं। यह उन क़ौमों के सींगों को ख़ाक में मिला देंगे जिन्होंने उनसे यहूदाह के बाशिंदों को मुंतशिर कर दिया था।”
Currently Selected:
ज़करियाह 1: DGV
Highlight
Share
Copy
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
2010 Geolink Resource Consultants, LLC