फिलिप्पियों फिलिप्पियों के नाम प्रेरित पौलुस की पत्री
फिलिप्पियों के नाम प्रेरित पौलुस की पत्री
प्रेरित पौलुस द्वारा फिलिप्पी नगर के विश्वासियों को यह पत्री लिखने का मुख्य उद्देश्य उन्हें धन्यवाद देना था। फिलिप्पी के विश्वासियों ने कठिन समय में पौलुस की सहायता की थी, और इस पत्री में वह उन्हें धन्यवाद देने के साथ-साथ मसीही एकता के विषय में कुछ निर्देश भी देता है। पौलुस का संदेश बिलकुल सरल है : केवल मसीह में ही सच्ची एकता और आनंद संभव है।
फिलिप्पियों की पत्री विपरीत परिस्थितियों में भी आनंद और प्रोत्साहन देनेवाली पत्री है। यह पत्री फिलिप्पियों की कलीसिया के प्रति पौलुस के गहरे प्रेम को प्रकट करती है। पौलुस फिलिप्पियों की कलीसिया की गवाही और उनके द्वारा सेवाकार्य के लिए दिए गए योगदान की सराहना करता है। वह विश्वासियों से प्रेमपूर्वक आग्रह करता है कि वे अपने कार्य और मन को एक ही व्यक्ति अर्थात् यीशु मसीह पर केंद्रित रखें। पौलुस उनके बीच झगड़े और विरोध की समस्याओं को भी संबोधित करता है। वह उन्हें याद दिलाता है कि मसीह में उनका जीवन परमेश्वर के अनुग्रह का दान है जो उन्हें यहूदी व्यवस्था की विधियों का पालन करने के द्वारा नहीं बल्कि विश्वास के द्वारा प्राप्त हुआ है। पौलुस कारावास से लिखी इस आनंददायी पत्री का समापन अभिवादन और आशिष वचन के साथ करता है।
रूपरेखा
1. अभिवादन और धन्यवाद की प्रार्थना 1:1–11
2. पौलुस की व्यक्तिगत परिस्थितियाँ 1:12–30
3. मसीह हमारा आदर्श 2:1–30
4. सच्ची धार्मिकता 3:1–21
5. प्रोत्साहन और धन्यवाद के वचन 4:1–20
6. उपसंहार 4:21–23
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फिलिप्पियों फिलिप्पियों के नाम प्रेरित पौलुस की पत्री
फिलिप्पियों के नाम प्रेरित पौलुस की पत्री
प्रेरित पौलुस द्वारा फिलिप्पी नगर के विश्वासियों को यह पत्री लिखने का मुख्य उद्देश्य उन्हें धन्यवाद देना था। फिलिप्पी के विश्वासियों ने कठिन समय में पौलुस की सहायता की थी, और इस पत्री में वह उन्हें धन्यवाद देने के साथ-साथ मसीही एकता के विषय में कुछ निर्देश भी देता है। पौलुस का संदेश बिलकुल सरल है : केवल मसीह में ही सच्ची एकता और आनंद संभव है।
फिलिप्पियों की पत्री विपरीत परिस्थितियों में भी आनंद और प्रोत्साहन देनेवाली पत्री है। यह पत्री फिलिप्पियों की कलीसिया के प्रति पौलुस के गहरे प्रेम को प्रकट करती है। पौलुस फिलिप्पियों की कलीसिया की गवाही और उनके द्वारा सेवाकार्य के लिए दिए गए योगदान की सराहना करता है। वह विश्वासियों से प्रेमपूर्वक आग्रह करता है कि वे अपने कार्य और मन को एक ही व्यक्ति अर्थात् यीशु मसीह पर केंद्रित रखें। पौलुस उनके बीच झगड़े और विरोध की समस्याओं को भी संबोधित करता है। वह उन्हें याद दिलाता है कि मसीह में उनका जीवन परमेश्वर के अनुग्रह का दान है जो उन्हें यहूदी व्यवस्था की विधियों का पालन करने के द्वारा नहीं बल्कि विश्वास के द्वारा प्राप्त हुआ है। पौलुस कारावास से लिखी इस आनंददायी पत्री का समापन अभिवादन और आशिष वचन के साथ करता है।
रूपरेखा
1. अभिवादन और धन्यवाद की प्रार्थना 1:1–11
2. पौलुस की व्यक्तिगत परिस्थितियाँ 1:12–30
3. मसीह हमारा आदर्श 2:1–30
4. सच्ची धार्मिकता 3:1–21
5. प्रोत्साहन और धन्यवाद के वचन 4:1–20
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