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इफिसियों 6

6
माता–पिता और बच्‍चे
1हे बालको, प्रभु में अपने माता–पिता के आज्ञाकारी बनो, क्योंकि यह उचित है।#कुलु 3:20 2“अपनी माता और पिता का आदर कर (यह पहली आज्ञा है जिसके साथ प्रतिज्ञा भी है) 3कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे।”#निर्ग 20:12; व्य 5:16 4हे बच्‍चेवालो, अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ, परन्तु प्रभु की शिक्षा और चेतावनी देते हुए उनका पालन–पोषण करो।#कुलु 3:21
स्वामी और दास
5हे दासो, जो लोग इस संसार में तुम्हारे स्वामी हैं, अपने मन की सीधाई से डरते और काँपते हुए, जैसे मसीह की वैसे ही उनकी भी आज्ञा मानो। 6मनुष्यों को प्रसन्न करनेवालों के समान दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों के समान मन से परमेश्‍वर की इच्छा पर चलो, 7और उस सेवा को मनुष्यों की नहीं परन्तु प्रभु की जानकर सच्‍चे हृदय से करो। 8क्योंकि तुम जानते हो कि जो कोई जैसा अच्छा काम करेगा, चाहे दास हो चाहे स्वतंत्र, प्रभु से वैसा ही पाएगा।#कुलु 3:22–25 9हे स्वामियो, तुम भी धमकियाँ देना छोड़कर उनके साथ वैसा ही व्यवहार करो; क्योंकि तुम जानते हो कि उन का और तुम्हारा दोनों का स्वामी स्वर्ग में है, और वह किसी का पक्ष नहीं करता।#व्य 10:17; कुलु 3:25; 4:1
आत्मिक युद्ध के हथियार
10इसलिये प्रभु में और उसकी शक्‍ति के प्रभाव में बलवन्त बनो। 11परमेश्‍वर के सारे हथियार बाँध लो कि तुम शैतान#6:11 यू० इब्लीस की युक्‍तियों के सामने खड़े रह सको। 12क्योंकि हमारा यह मल्‍लयुद्ध लहू और मांस से नहीं परन्तु प्रधानों से, और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से और उस दुष्‍टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं। 13इसलिये परमेश्‍वर के सारे हथियार बाँध लो कि तुम बुरे दिन में सामना कर सको, और सब कुछ पूरा करके स्थिर रह सको। 14इसलिये सत्य से अपनी कमर कसकर, और धार्मिकता की झिलम पहिन कर,#यशा 11:5; 59:17 15और पाँवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहिन कर;#यशा 52:7 16और इन सब के साथ विश्‍वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिससे तुम उस दुष्‍ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको। 17और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार, जो परमेश्‍वर का वचन है, ले लो।#यशा 59:17 18हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और विनती करते रहो, और इसी लिये जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार विनती किया करो, 19और मेरे लिये भी कि मुझे बोलने के समय ऐसा प्रबल वचन दिया जाए कि मैं साहस के साथ सुसमाचार का भेद बता सकूँ, 20जिसके लिये मैं जंजीर से जकड़ा हुआ राजदूत हूँ; और यह भी कि मैं उसके विषय में जैसा मुझे चाहिये साहस से बोलूँ।
अन्तिम अभिवादन
21तुखिकुस,#प्रेरि 20:4; 2 तीमु 4:12 जो प्रिय भाई और प्रभु में विश्‍वासयोग्य सेवक है, तुम्हें सब बातें बताएगा कि तुम भी मेरी दशा जानो कि मैं कैसा रहता हूँ। 22उसे मैं ने तुम्हारे पास इसी लिये भेजा है कि तुम हमारी दशा को जानो, और वह तुम्हारे मनों को शान्ति दे।#कुलु 4:7,8
23परमेश्‍वर पिता और प्रभु यीशु मसीह की ओर से भाइयों को शान्ति और विश्‍वास सहित प्रेम मिले। 24जो हमारे प्रभु यीशु मसीह से सच्‍चा प्रेम रखते हैं, उन सब पर अनुग्रह होता रहे।

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